________________
तरथ चनुवि चक्रवात पूजाका रा।।
मंडावली रनूर लरकड्याई डप्पेरकरकइंसजगया कयसमर हे अम
रहंथर इरति ग त्रसोत्रश्वहि पत्रुति अख रिददंणादर्द पियाई पायाल इंदिन लकपि यह कह इंगिरिमहिया। लाई चाल अलि यश्चालाई
जलाई थिरलावददेवदजायसंक रहपेल्लियडोल्लियरविससका तो तिजगविमद्दा
छह खण्ड धरतीमण्डल के लिए लाखों गम्भीर तूर्य बजवा दिये गये, दुर्दर्शनीय रक्षक आहतमद हो उठे। युद्ध करनेवाले देवों के शरीर थर-थर काँप उठे। उनके कान बहरे हो गये। असुरेन्द्रों और नागेन्द्रों की प्रियाएँ
Jain Education International
www.BELASS
सरथचक्रवति पुत्र मुखावलो किनी।
और विपुल पाताललोक काँप उठे। पहाड़ और धरतीतल टूट-फूट गये। नदियों के चमकते हुए जल मु गये। स्थिर भाववाले देवों को शंका उत्पन्न हो गयी शब्दों से आहत सूर्य और चन्द्रमा डोल उठे। घत्ता- त्रिजग का विमर्दन करनेवाले
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org