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एवंचियमहसणाळातंणिमुणविणिस्तरजायनाधिनतणसङ्कसंख्यविसायसाणदयार दिसतकरुपायणपरपावदिलवसधाश्रमेवाईअलनशदाशमंडलाश्टाश्यधामधनश यवतरिसथासयराणादवजयकक्वपदाणावरकंडावणिपसरियतटन्ही लग्नारायमहादिस्य श्रीश्रादिनाथक हो पाकखाणाहयहिंगहीरहिं वह
वातमुणिकरित
निरंतरुजाता तादिचामापरवरहिंधवलहिंगले हिगजीतहिंखञ्जयमावणेहिंगवा तादि कामिणिमित्रगतरामचदि हो माणपारंलपवंचहि ससहरमाण माणिकलसहि सयलतिचजल्ला सटिर्दिकलसहि जयराबाहिराम, पलणताहि यहिसिंचियनतरङसामतिहिं हासससंककाससकासई पहिाविनयश्सनरी बाम कमहिछडलाईयाहई चंदाचहतयसमिकरकंकगलिहारुविलायमासारण
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मेरा तुम्हें यह आदेश है।" यह सुनकर भरत निरुत्तर हो गया। वह विषाद से खिन्न रह गया। सुनन्दा के पुत्र बाहुबलि को धरती विभक्त शुभ पोदन दिया गया। दूसरे-दूसरे पुत्रों को धन-धान्य से परिपूर्ण दूसरे-दूसरे मण्डल दिये गये। इस बीच राजाओं को प्रेषित किया गया, जो एक से एक प्रधान थे, छह खण्ड धरती में प्रसारित है तेज जिसका, ऐसे राज्याभिषेक में लग गये। मनुष्यों के हाथों द्वारा डण्डे (वादन-काष्ठ) से आहत, बजते हुए स्वर्ण तूर्यो, गाये जाते हुए धवल मंगल गीतों, नृत्य करते हुए कुब्जों और बौनों, स्त्रियों और मित्रों
के शरीर रोमांचों, होम और दान के प्रारम्भ के विस्तारों तथा स्फटिक मणियों से निर्मित, निष्कलुष समस्त तीर्थों के जलों से भरे हुए कलशों के साथ 'जय राजाधिराज' कहते हुए सामन्तों ने भरत का अभिषेक किया।
और हास्य चन्द्रमा और काश के समान (धवल) पवित्रता से बनाये गये वस्त्र उन्हें पहना दिये गये, सूर्य और चन्द्रमा के तेज से समृद्ध कुण्डल कानों में बाँध दिये गये हाथों में कंगन और गले में हार पहना दिया गया
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