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व्यापतिमा विवेनाकारम FALU
अगोलाक्छन वसलाम
कुसुमसंतोसणमुदंतित सजायर्दिदसदिसिर वहरहिं झपकापघाटकाहि कामचडिठापट काविसुम्मडोश्सवासहिविषिहयडम्मणिपण यसीदाणायगयविशाल वितरहिंपडपडहसमावर या संखयणाहिपावसंखोहिय पहिवामदेव संबोदियाला उजायणाणससके अमदाशुणे हिंपजिलावाविहवरखेण जगसमुहुणगन्जि
दातासकेपचितिडपाणियालिविंटोस पवाजवणणरावगइहाला हारणाहारसुरसरि उसासाहो अहयंदाहविहमविहाणिदणदोगा लियकरडयलमयकसणगडला अमरगिरिमि हरसकासाला कामचिंतागश्कामहवाचल्य ८३
और पुष्पों का विसर्जन करते हैं। ज्योतिषवासी देवों के द्वारा आहत नगाड़ों की ध्वनियों से कानों को कुछ भी सुनाई नहीं देता। व्यन्तर देवों ने पट-पटह बजाये, सिंहनाद और गजनाद होने लगा। शंखों की ध्वनि से तब इन्द्र ने अपने मन में विचार किया और भ्रमर समूह को प्रसन्न करनेवाला ऐरावत गजेन्द्र वेग से वहाँ नाग क्षुब्ध हो गये। इसी प्रकार एक से दूसरे देव सम्बोधित हुए।
___ पहुँचा। जिसकी कान्ति हार, नीहार, गंगा और तुषार के समान उज्ज्वल है। जिसके नख अर्धेन्दु और विद्रुम घत्ता-अनन्त गुणों से युक्त ज्ञानरूपी चन्द्र के उदित होने पर बहुविध तूर्यों के आहत होने पर विश्वरूपी के समान लाल हैं; जिसका गंडस्थल, कर्णतल से झिरते हुए मदजल से काला है, जिसका कुम्भस्थल सुमेरु समुद्र गरज उठा॥१६॥
पर्वत के शिखर के समान है, जो काम की चिन्ता के समान गतिवाला, कामरूप और चंचल है।
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