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मीस अडसाइंस वाखाली सहस उत्तरकुरुसुरक गुप्पट, सरणिरुतड ॥ लोयखतिसाता सि. तिमिजि कम्म विहसि मुहिमवंतेसरेग्वरु। परिविकरु यसह HOME
दह जायगी अतिउद्यागमेजेति स्थिहोत्रिय वरु वरिल विउणावल पार्न लकिडे पणामुमहा
और भी उत्तरकुरु तथा दक्षिणकुरु का विस्तार ग्यारह हजार आठ सौ बयालीस योजन कहा गया है, निश्चय ही यह मान कम नहीं होता।
घत्ता - भोगभूमि से सन्तुष्ट रहनेवाले ये छह क्षेत्र हैं। इस जम्बूद्वीप में कर्मभूमि से विभूषित तीन क्षेत्र हैं ॥ ४ ॥
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स। अयुक्तिपुण्यारह रुडपड पठमा घना कहखेन हनदीवि यशा पोमुणा पंचसवाईतास सुदी दाणुमु रिमबुझाइ एवं हो • न सिहरिमहाघुड हाहिमवं वरिल लठ तिविद्वेष वि पोमुजेमहारिकउ तिमी
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हिमवत पर्वत पर पद्म नाम का सरोवर है, उसका परिविस्तार पाँच सौ योजन है, एक हजार योजन लम्बाई कही जाती है और दस योजन गहराई। इस पद्म सरोवर का आगम में जितना विस्तार कहा शिखरी कुलाचल पर स्थित महापुण्डरीक सरोवर का भी यही विस्तार हैं। तथा श्रेष्ठ महाहिमवान् उससे दुगुना उसके ऊपर पद्म सरोवर से तीन रूप से दुगुना महापद्म नाम का सरोवर है अर्थात् उसकी चौड़ाई गहराई पद्म से दुगुनी है, यह मैंने कहा।
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