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पसंसिन गिरिकदाधुअकसरा कसरिखसरहेसगळादसदिसिवहसंपाश्यसखातदि अवसारदासविमलवरुदङ्गरिमाणलोरणनधियनवयवडणणावपल्लवियाआयवनर फुल्लाहाकुलेमातरुणायणहि डल्लिन थियवसदसचासवादणाणणावाजणवरख ममदावण णवस्यहिंधावंतहियावश्संदरोहिंविसरियणावश्कंजरहिमिहत्या आसवरहिणविज्ञवलश्यना व्हरिमारुगलुग सुरक्षण अवलवणवपारण वि डाणकवणण्यासण्यालप यमपरायमसयालीलया गमतहिंजहिंधळारंजियसकारि सदणादाणमाकमदापडाधता कमलासपकेसनससहरवासन सिड्वहुहरुपियरचा मायरघाच्या याहिजडियण पणिसाउँझिणवसारवडयाकविगहिवाश्याकदि मडरंगाइयोकणविसरसंणचियं पडपटाइमलयचियालाअमरविलासिणिकरसंगदिनदि हविनदघाडइदिंदहियर्दि इंदजलराजमपरिसवरुणहि पक्षणकुवेरतिमलुहरणादाणा लिणदणादहिचंदही रुंदादलोदिंणरिदहिवयग्गारियथावमालदिणिपातुखार वारिक्षारालहि कंचणकुंटसहासहिसिनने दहसयहलकणसंजतनसाहतिङाणसामिजो
जैसे पर्वत शिखर पर अयाल हिलाता हुआ सिंह हो। जिसमें दसों दिशाओं के देव आये हए हैं ऐसा विशाल घत्ता-ऋषभ जिनवर (जो विष्ण, केशव, सिद्धबुद्ध, शिव और सूर्य हैं) स्वर्ण रचित एवं रत्नजड़ित आकाश उस अवसर पर ऐसा लगता था मानो अनेक विमानों के भार से झुक गया हो। ध्वजपटों से मानो पट्ट पर आसीन थे॥२२॥ पल्लवित हो उठा हो, फूलों से खिला हुआ आतपत्र हो, मानो तरुणीजन के स्तनोंरूपी फलों से अवनत हो।
२३ जिसमें मत्स्य, हंस और चातकगण स्थित हैं ऐसा आकाश, जिनवर के पुण्यरूपी महासमुद्र के समान दिखाई किसी ने गम्भीर वाद्य बजाया, किसी ने मधुर गाना गाया। किसी ने सरस नृत्य किया, और प्रभु के देता है। वह मानो दौड़ते हुए अश्वों से दौड़ता है, स्यन्दनों (रथों) द्वारा सूर्यों से भरा हुआ जान पड़ता है, चरणकमलों की पूजा की। देवस्त्रियों के हाथों में धारण किये गये घी, दूध और दही से शरीर का स्नान कराया हाथियों के द्वारा मेघों से आच्छादित और तलवारों के द्वारा बिजलियों से चमकता हुआ, हरी और लाल गया। इन्द्र, अग्नि, नैऋत्य और यम, वरुण, कुबेर, त्रिशूल धारण करनेवाले शिव, सूर्य, नागेन्द्र, चन्द्र तथा कान्तियों के द्वारा, इन्द्रधनुष के समान जान पड़ता है, जो मानो नवपावस के गुण को धारण करना चाहता महाआनन्द से भरे हुए राजाओं के द्वारा, मुखों से निकलते हुए स्तोत्रों के कोलाहलों तथा दूध और जल की है। इस प्रकार देव विविध लीलाओं के साथ वहाँ पहुँचे जहाँ सभा को रंजित करनेवाले सबके नाथ महाप्रभु गिरती हुई हजारों धाराओं से युक्त हजारों स्वर्णकलशों से एक हजार आठ लक्षणों से युक्त जिनका अभिषेक ऋषभनाथ बैठे हुए थे।
किया गया। फिर शरीर में लगे हुए के समान जिनवर स्वामी के योग्य सूक्ष्म वस्त्र का
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