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॥ श्रीयादिना कानदा बेटा मिचिनमिश्र सिमा गणला मे॥
= रयेसियर
अपि पश्यालिमखन्नियसासणेण पेसणपसोणा पूर्वदिपन्नरुकिंग्स देसि सणुकवण्ट्रोस गुणरसणरासि परमेहिपियामति जगताय
मदोराय छतः।। दवलाई
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मणमअरुरु पुरंदर उम्मि ढिकाण।।
वोल्नदि जान
दियकफुट
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प्रयुपक्रपा
सायदापुगामर या पापसंपति
गार्ट कुमारयसेो
इस समय आप उत्तर तक नहीं देते। हे गुणरत्नराशि, बताइए इसमें हमारा क्या दोष है? हे परमेष्ठी, पितामह, त्रिजग पिता, हमारा राजा दुष्ट नहीं हो सकता।
घत्ता - नव कमलों के समान आपके चरणों में हमारा मनरूपी मधुकर गुनगुना रहा है जबतक हमारा
धरण्डपद्मावती | पाताले आसनक पाठ जहा आदिनाथ काय तया ए
हृदय नहीं फटता तबतक आप क्यों नहीं देखते और बोलते ? " ॥ ५ ॥
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प्रभु में प्रसाद और दान उत्पन्न करने में लीन वे कुमार बार-बार उनके पैरों पर पड़ रहे थे।
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