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कलमदा कळा दय) मुनिः ही सामार्ग अपना पितविर पूर्वव क्सक् मैत्रवत्ता।
लधरा परो जियजिण वरणिरोहणिडाइपहिया गाविहविभाखे सेदिसहियाला ताक महाक दतपुत्रा पडिलपिणसिरिसरमा कामियका मिणियणकाम कला मन्त्र
यमत्रचंड सोडाललीलापरवल नलग संथास | मळ | दोमि विलायर करवालदळ आवाज हितईिणिमुकूडंट बि उपडिमा सरसज उपासदिपरिमिि महारि इगाजदीव
दोचंदसूर णामेणामिविप्रमिणिवणेह सिहरिडिणिय णिविरमे पुणचेपित्तदि पत्र णियसुग्रह विजेविप्रददेवा दिली किंपि महिमंडलुगोप्ययमेनु
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जिनवर के विरुद्ध विरोध निष्ठा से अधिष्ठित उन लोगों ने अपने नाना विचार और वेष बना लिये। तब कच्छप और महाकच्छप के दोनों पुत्र (नमि और विनमि), जो दुष्टों के लिए प्रतिकूल और सिरदर्द थे, कामिनीजन के साथ कामक्रीड़ा चाहनेवाले और मदोन्मत्त प्रचण्ड हाथियों की लीलावाले थे, शत्रु सेना की शक्ति को नष्ट करने में समर्थ थे, हाथ में तलवार लिये हुए उस स्थान पर आये, जहाँ दम्भ से रहित स्वयं आदिजिन प्रतिमायोग में स्थित थे। महान् शत्रुओं को पीड़ित करनेवाले उन्होंने उनकी उसी प्रकार परिक्रमा दी, जिस प्रकार चन्द्र
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सूर्य जम्बुद्वीप की परिक्रमा देते हैं। आपस में बद्ध स्नेह और नाम से नमि-विनमि वे उनके पास उसी प्रकार बैठ गये जिस प्रकार पर्वत के निकट मेघ स्थित होते हैं। जयकार करके उन्होंने इस प्रकार कहा, "हे देव, आपने अपने पुत्रों को भूमि विभक्त करके दे दी, हम लोगों के लिए कुछ भी नहीं दिया। जिन्होंने क्षात्रधर्म का परिपालन किया है और जो अनुचरों के लिए आज्ञा का प्रेषण करनेवाले हैं, ऐसे आपने गोपद के बराबर भी भूमि नहीं दी।
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