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यसामुपास्पसाट त्यागीगुणावियतमश्वलगोजिमानाकिंवासिमहशोहरतार्दवल्या व
का संहासपणखसासण महिजलतण्ववियप्यावयावतहातवासारकतहाधिम्या परमवावराण प्यापसमवाळामावली धरिफणसासानग्नथवसयादूरादमुक्कसगाजाणयतासा दाहाधरीनिरवि ग्रवनमहिन्यथ
या तस्साररकण्णपरिससिलंग पसंततरणाणालयगनाळा चिरुचरियश्चण्टिाजसंतरे विजगसामिणिगोमिणिपरिहरविमणमारहो।माहोकरविनश्चश्सबहोतबहोमणिविल
सन्धि ८
के लिए उन्होंने अपने आपको सौंप दिया। दूर से छोड़ दिया गया है परिग्रह जिसमें, तथा जो सन्तोष देनेवाला है, ऐसे परम दिगम्बर स्वरूप को धारण कर, शरीर की ममता छोड़नेवाले महामुनि ऋषभ, तपस्यारूपी कान्ता के लिए, एकनिष्ठ होकर ध्यानालय में चले गये। पुराने आचरित चरितों की याद कर, लक्ष्मी तथा धरती का परित्याग कर, मन मारनेवाले काम का अन्त कर, अत्यन्त सत्य तत्त्व का रहस्य समझकर,
सिंहासन, नरपतिशासन, महीतल और शरीर का विचार नहीं करते हुए, गुणवती तपोलक्ष्मीरूपी कान्ता
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