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शधूयनशणसरसगियउपलपलकलपलनकरहिं मंनिहिंजापविमग्नियाजनयिक यमहराहो तिकृयणगाहहो दिहाउसवलयाकपाजयलयाना ताकनमहाकळाहिव .. ..
धरुजाय। विसिगा
विसिरमणा मात्तिराजामंत्री
वियपाहि। गवा हिपउँपाहे
कछमहाककर कामालवाल
जाकश्या सिमंत्री रहवल्लरामरर
अागमन। पारउपरमेसहोविवाजा यायठसुरसणुहरिकरिविवाज कमकयुमजासिमरलायवाल सहिक अवघुममोरहाला वरिहकरशेयलगढ़ पहिलउपर्मकारुणविरुद्ध गुमुखमियसमिदा ३५
यहोयंटी Bom
घत्ता-फल, पत्र, फूल और पल्लव हाथ में लिये हुए मन्त्रियों ने कच्छ और महाकच्छ राजाओं से उनकी (क्यारी) में उत्पन्न होनेवाली लताओं के समान वे सुन्दरियाँ दे दी। परमेश्वर का विवाह प्रारम्भ हुआ। अश्व, स्तनभार से नम्र कन्याएँ माँगी ॥८॥
गज और पक्षियों के बाहनवाला सुरगण विवाह में आया। कुसुमांजलि लिये हुए लोकपाल (विवाह में) आये।
पुण्य से मनोहर सुधी बान्धवजन आये। कुमारियों के हाथ में अंगूठियाँ पहना दी गयीं, मानो पहला प्रेमांकुर "भूमि की शोभा बढ़ानेवाले त्रिभुवननाथ को कंगनसहित अपनी दोनों कन्याएँ दो।" तब कच्छ और फूटा हो, जिसमें गुनगुनाता हुआ चंचल महाकच्छ राजाओं ने घर जाकर, सिर से चरणों में प्रमाण करते हुए, नाभेय (ऋषभ) को काम की आलवाल
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