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नामसाविठ सिकाविनाचचवहिलकीहरूाणिबजगागणंतवणे वियसाविठकमलायर
शारचित गुणमणिकिणपसरलरपस्मियडमदानिमिरमेलडे दुळवश्सावणायवाजम ससिरविवादबहवरुणलालडाळा धमळेसुकसलयासमा छियामियमडरलासिणिवससि उअपिसणवछठाययण रामसुधीसवलतमहासणु मदिदिहरसमलनितिदिउस हसुपाणबुद्धिजगदि दूसलाध्ययोदयबउ पुरिसप्पसमुरारुतम थिरुसंसरणामाल हिम्मलवउसकुचर्जिसचिनुश्रान ललकुमहाविसयागाउ किंवमिझाईसारईगण
प्रदिनाथकेए कारपत्र
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घत्ता-इस प्रकार चक्रवर्ती की लक्ष्मी को धारण करनेवाले भरत को उसके अपने पिता ने यह बात भरत, कुबेर, पवन, यम, शशि, सूर्य, अग्नि और वरुण की लीलाओं के समान लीलावाला हो गया। धर्म और सिखायी मानो सूर्य ने कमलाकर को विकसित किया हो॥१२॥
अर्थ में कुशल तेजस्वी, हित-मित और मधुर बोलनेवाला, राजाओं द्वारा प्रशंसनीय, सज्जन, उत्साह से परिपूर्ण क्रोध-रहित पवित्र धीर, बलवान्, गम्भीर, बुद्धि और धैर्य का घर, समर्थ, जितेन्द्रिय, प्रत्युत्पन्नमति,
विश्ववन्द्य, दूरदर्शी, अदीर्घसूत्री, पुरुषविशेषज्ञ, प्रसन्न, गुरुभक्त, स्थिर, स्मरणशील, पवित्र, व्रती, स्वच्छ, गुणरूपी मणियों की किरणों के प्रसारभार से शान्त हो गया है दुर्नयों का अन्धकारसमूह जिसका, ऐसा अकलुषित चित्त, अत्यन्त सुभग, वदान्य, मेधावी और सयाने, भारत के उस राजा का क्या वर्णन किया जाये?
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