________________
हाला सोयविरामळूहावेविरतणु उहिमकरघलणाससविजण घरेटहरसुपियडजणायट पका उवसुतजाममा सामण्डकाविनरसराण सोडायवरुवंसपहागडे हरिहरिकचकहावहारवर
अादिना ज्पळापन
सहो कठपुरमिल्खुस्सिस्पसंसहा कासठमघमणमिणधोसिउ मुग्गासमूलिल्लुपयासिन अवरू अर्कपणुसिरिहरुसणि पाहवरसापहिलरमाणिचिठदहमनकुलयरपिय दणामलएवामणण
भोगभूमि के समाप्त होने पर भूख से कम्पित शरीर समस्त जन अपने करतल उठाकर जिस कारण से घर पर इक्षुरस पीने के लिए आये थे, उससे प्रभु का वंश इक्ष्वाकुवंश हो गया। सोमप्रभु को कुरु का राणा कहा गया इसलिए वह कुरुवंश का प्रधान हो गया। हरि को हरिकान्त कहकर उन्हें प्रशंसनीय हरिवंश का प्रथम पुरुष
बना दिया गया। कश्यप को मघवा कहकर पुकारा गया और इस प्रकार उग्रवंश के मूल को प्रकाशित किया गया। और अकम्पन को श्रीधर कहा गया, नाथवंश में उसे पहला जानो। चौदहवें कुलकर के प्रियपुत्र, और मरुदेवी के मन और
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jan97ry.org