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बिलासहिं मंगलनिघोसहि संचल्लियाणस्व गाणाविहादेवाला पावधिशमन परग्रेश परिसंवे चितिवारफपिदिणायमचंद्रालपामुरड जमणादेयकमाणगयणगालग्गदिमनिहसिहरु पत्र सपिप्पणादिरिंदधाजपविपियवनपशनिवपवर मायमायासिसदेविकरअममासणगणसम्मा
पिया कहिन दिविण्टाणि यय सहसको दिहलपमपर पोमसरेंगणव दिवसयस झाश्यमापन मोहवरूपच कतिथियधाम
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और मंगल शब्दों के साथ, इस प्रकार नाना प्रकार के देव चले।
घत्ता-अत्यन्त दुाह्य अयोध्या पहुँचकर तीन बार उसकी प्रदक्षिणा कर नाग, दिनकर, चन्द्र और सुरन्द्र ने कहा-“हे नाभेय कुमार! आपकी जय हो।"॥१०॥
जिसके हिम-सदश शिखर आकाश के अग्रभाग को छते हैं ऐसे नाभिराजा के घर में प्रवेश कर नृपश्रेष्ठ से प्रिय बातें कर माता के हाथ में मायावी बालक देकर, देवों के द्वारा सम्माननीय इन्द्राणी उसे बाहर ले गयी। इन्द्र ने उन परमश्रेष्ठ को देखा मानो नवसूर्य ने कमलसरोवर को देखा हो। अज्ञानरूपी अन्धकार के समूह को नष्ट करनेवाले वे ऐसे लगते हैं मानों धर्म का वृक्ष अंकुरित हो उठा हो;
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