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प्रस्तावना
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२२. कर्मस्थिति-अनुयोगद्वार- इसमें सर्व कर्मोंकी जघन्य और उत्कृष्ट स्थितिका तथा उत्कर्षण और अपकर्षणसे उत्पन्न हुई कर्मस्थिलिका वर्णन किया गया है ।
२३. पश्चिमस्कन्ध-अनुयोगद्वार- इसमें पश्चिम अर्थात् चरमभवमें केवलि-समुद्घातके समय सत्त्वरूपसे अवस्थित कर्मस्कन्धोंके स्थितिकाण्डकघात, अनुभागकाण्डकघात, योगनिरोध और कर्मक्षपणका वर्णन किया गया है।
२४. अल्पबहुत्व-अनुयोगद्वार- इसमें पूर्वोक्त सर्व अनुयोगद्वारोंके आश्रयसे जीवोंके अल्पबहुत्व का वर्णन किया गया है ।
४ वेदनाखण्ड ___ ऊपर महाकर्मप्रकृति प्राभृतके जिन २४ अनुयोगद्वारोंका परिचय दिया गया है, उनमेंसे भूतबलि आचार्यने आदिके केवल ६ अनुयोगद्वारोंका ही वर्णन किया है, शेषका नहीं। इन छह अनुयोगद्वारोंमें वेदना नामक दूसरे अनुयोगका विस्तारसे वर्णन करनेके कारण यह अनुयोगद्वार एक स्वतन्त्र खण्ड के नामसे प्रसिद्ध हुआ है । यतः कृति अनुयोगद्वार इससे पूर्व में वर्णित है, अतः वह भी वेदनाखण्डके ही अन्तर्गत मान लिया गया है।
इस वेदना अधिकारका वर्णन जिन १६ अनुयोगद्वारोंसे किया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं- १ वेदनानिक्षेप, २ वेदनानयविभाषणता, ३ वेदनानामविधान, ४ वेदनाद्रव्यविधान ५ वेदनाक्षेत्रविधान, ६ वेदना-कालविधान, ७ वेदना-भावविधान, ८ वेदनाप्रत्ययविधान, ९ वेदना-स्वामित्वविधान, १० वेदनावेदन विधान, ११ वेदनागतिविधान, १२ वेदना-अन्तरविधान, १३ वेदना सन्निकर्षविधान, १४ वेदना-परिमाणविधान, १५ वेदना-भागाभागविधान और १६ वेदना-अल्पबहुत्व ।
१. वेदनानिक्षेप-अनुयोगद्वारमें वेदनाका निक्षेप नाम, स्थापना, द्रव्य और भावरूप चार प्रकारसे करके बतलाया गया है कि प्रकृतमें नो आगमकर्मवेदनासे प्रयोजन है। २. वेदनानयविभाषणता-अनुयोगद्वारमें विभिन्न नयोंके आश्रयसे वेदनाका वर्णन किया गया है । यथाद्रव्यार्थिक नयकी अपेक्षा बन्ध, उदय और सत्त्वरूप वेदना अभीष्ट है । ऋजुसूत्र नयकी अपेक्षा उदयको प्राप्त कर्मद्रव्यवेदना अभीष्ट है, इत्यादि । ३. वेदनानामविधानमें बन्ध, उदय और सत्त्वरूपसे जीवमें स्थित कर्मस्कन्धमें किस नयका कहां कैसा प्रयोग होता है, इस बातका वर्णन किया गया है। ४. वेदनाद्रव्यविधानमें बतलाया गया है कि वेदनाद्रव्य एक प्रकारका नहीं है, किन्तु अनेक प्रकारका है। तथा वेदनारूपसे परिणत पुद्गलस्कन्ध संख्यात या असंख्यात परमाणुओंके पुंजरूप नहीं हैं, किन्तु अभव्योंसे अनन्तगुणित और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण अनन्त परमाणुओंके समुदायरूप है। ५. वेदनाक्षेत्रविधानमें बतलाया गया है कि वेदनाद्रव्यकी अवगाहनाका क्षेत्र
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