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धर्म
अनमार
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न्होने सीताका समाचार सुमारासविषकी मृच्छोसे उन्हे उजीवित-सचेत किया। तथा इस तरह सावधान होकर उन्होंने बानरोंकी सेन्यकी रायतासे उस रावणका वध किया। यह धर्म नरकों भी घोर उपसर्गोको दूर करता है यह बताते हैं:
लाये किया धर्माय येन जन्तुरुपस्कृतः।
तत्सागुपसर्गेभ्या सुरैः श्वप्रेपि भोच्यते ॥ ५४ ॥ धर्मके माहात्म्यका वर्णन हो नहीं सकता । इसलिये कहते हैं कि हम उसकी कहांतक प्रशंसा-स्तुति करें कि जिसके द्वारा अथवा, नारकियों और संक्लिष्ट मुरोंके द्वारा उदीरित घोर दुःखोंसे देवों-कल्पवासी देवोंके द्वारा नरकमें भी मुक्त करदिया जाता है। क्योंकि छह महीना आयु वाकी रहनेवाले नारकियोंके उपसर्गोको देवगण दूर करदिया करते हैं। जैसा कि आगममें भी कहा है
तित्थयरसत्तकम्मे उवसम्मणिवारणं कुणंति सुरा ।
छम्माससेस गरये सग्गे अमिलाणमालाओ॥ - नरकमें ऐसे नारकियोंके उपसर्गोको कि जिसके तर्थिकर नामकर्म सत्तामें बैठा हुआ है और उनकी आयु छह महीना मात्र शेष रही है, कल्पवासी देव दूर कर देते हैं। इसी प्रकार स्वर्गमें भी उन देवोंकी जिनके कि तीर्थकर नामकर्म सत्तामें बैठा हुआ है और आयुका छह महीना मात्र काल शेष रहा है, दूसरे देवोंकी तरह मंदारमालाएं म्लान नहीं हुआ करतीं।।
धर्मका आचरण करते हुवे भी यदि विपत्तियां आकर संतप्त करें तो उनकी निवृत्तिकेलिये धर्मको ही पुनः सबल बनानेका उपदेश देते हैं।
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अध्याय