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अनगार
जहांपर सिद्धभक्तिका उच्चारण किया हो वहांसे किसी कारणवश यदि वह संयमी जिसने कि सिद्धभक्तिका उच्चारण, करलिया है भोजन करनेके लिये किसी अन्य स्थानपर जाय अथवा सिद्धभक्ति करके भोजन ग्रहण करनेके लिये वहीं अथवा अन्यत्र खडा हो जाय और ऊपरसे कोई काक या कुत्ता आदि जानवर मलोत्सर्ग करदे तो काक नामका अन्तराय समझना चाहिये.जो कि भोजन छोडदेनेका कारण है।
अमेध्य छर्दि और रोधन नामक तीन अन्तगयोंका स्वरूप बताते हैं:
लेपोऽमेध्येन पादादेरमेध्यं छदिरात्मना । छर्दनं रोधनं तु स्यान्मा मुद्भवेति निषेधनम् ॥ ४॥
भोजनके लिये स्थानान्तरको जाते हुए अथवा खडे हुए साधुके यदि किसी तरह चारण जवा जानु आदि किसी भी शरीरके अवयवसे अमेध्य-विष्टा आदि अशुचि पदार्थका स्पर्श होजाय तो अमेध्य नामका अन्तराय होता है। यदि किसी कारणसे स्वयं साधुको वमन होजाय तो छार्दनामका अन्तराय माना है। आज भोजन मत करना, इस प्रकार रोकदेनेपर रोधननामका अन्तगय होता है। रुधिर अश्रुपात और जान्वधःपात इन तीन अन्तरायोंका स्वरूप दो श्लोकोंमें बताते हैं:--
रुधिरं स्वान्यदेहाम्यां वहतश्चतुरंगुलम् । उपलम्भोऽस्लपूयादेपश्रुपातः शुचात्मनः ॥ १५॥ पातोश्रूणां मृतेन्यस्य क्वापि वाक्रन्दतः श्रुतिः ।
स्याज्जान्वधःपरामर्शः स्पर्शो हस्तेन जान्वधः ॥ १६ ॥ अपने या परके शरीरसे चार अङ्गुलतक या उससे अधिक रुधिर पीव आदिको वहता हुआ देखनेसे सा.
अध्याय
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