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बनगार
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अध्याय
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जिस प्रकार खोमी अमात्य सुहृत् कोर्षे राष्ट्र दुर्ग और बल-सेना इन सात अंगों से पुष्ट तथा साँध विग्रह यांन आसनं द्वेधीभाव और संश्रये इन छह गुणोंसे उत्कट राज्य अभीष्ट फलका देनेवाला होता है उसी प्रकार निःशङ्कितत्त्व निःकाङ्गितत्त्व निर्विचिकित्सत्व अमूढदृष्टित्व उपगूहन स्थितीकरण वात्सल्य और प्रभावना इन आठ अङ्कोंसे -माहात्म्यको सिद्ध करनेवाले उपायोंसे पुष्ट तथा संवेग निर्वेद निन्दा गर्दा उपशम भक्ति वात्सल्य और अनुकम्पा इन आठ गुणोंसे उत्कट अचिन्त्य प्रभावका धारण करनेवाला सम्यक्त्व मुमुक्षुओके अभीष्ट मनोरथों को पूर्ण करदेता है ।
भावार्थ - यद्यपि यहां पर राज्य के समान सम्यक्त्वको मनोरथ सिद्ध करनेवाला बताया है। फिर भी ऐसा है। किंतु सम्यक्त्वके समान राज्यको कामित पदार्थ सिद्ध करनेवाला कहना चाहिये। क्योंकि राज्यकी अपेक्षा सम्यक्त्व ही अधिक उत्कृष्ट है । राज्यसे केवल लौकिक प्रयोजन सिद्ध होते हैं किन्तु सम्यक्त्वसे लोकोउत्तर माहात्म्य प्रगट होता है । यह बात काकू अलंकार के द्वारा यहां स्पष्ट होजाती है ।
पहले सम्यग्दर्शनकी आराधनाके पांच उपाय बताये हैं- उद्योतन उद्यवन निर्वहण सिद्धि और निस्तरण । इनमेंसे चार उपायोंका किस प्रकार प्रयोग करना चाहिये सो यहांपर बताया । अब इन उपायोंके प्रयोक्ताको फल क्या प्राप्त होता है, यह बताते हुए पांचवें उपाय निस्तरणका स्वरूप बताते हैं :इत्युद्द्द्योत्त्य स्वेन सुष्टुकलोलीकृत्त्याक्षोभं विभ्रता पूर्यते दृक् । . येनाभीक्ष्णं संस्क्रियोद्येव बीजं तं जीवं साम्बेति जन्मान्तरेपि ॥ ११३ ॥
१ राजा, २ प्राइवेट सेक्रेटरी, ३ मंत्री ४ खजाना, ५ देश, ६ किला, ७ सुलह, ८ चढ कर आये हुए शत्रुके साथ अपनी या शरणागतकी रक्षाकेलिये युद्ध करना, ९ किसी शत्रुपर चढाई करना, १० कुछ कालकेलिये ठहरना - क्षणिक सान्ध, ११ दो या अनेक शक्तियों में परस्पर विरोध करादेना, १२ अपनेसे बलवान् शक्तिका आश्रय लेनः ।
धर्म -
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