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अनगार
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इस प्रकार उत्पादन दोषोंका प्रकरण समाप्त हुआ। अब क्रमप्राप्त दश प्रकारके अश्शन दोषोंके नाम गिनाते हैं
शङ्कितपिहितम्रक्षितनिक्षिप्तच्छोटितापरिणताख्याः ।
दश साधारणदायकलिप्तविमित्रैः सहेत्यशनदोषाः ॥ २८॥ भोज्यसामग्रीसे सम्बन्ध रखनेवाले दोषोंको अशन कहते हैं। इसके दश भेद हैं.:-शंकित पिहि म्रक्षित निक्षिप्त छोटित अपरिणत साधारण दायक लिप्त और विमिश्र । इनका स्वरूप बतानेकी इच्छासे क्रमके अनुसार पहले शङ्कित और पिहित इन दोषोंका लक्षण करते है ।
संदिग्धं किमिदं भोज्यमुक्तं नो वेति शंकितम् । पिहितं देयमप्रासु गुरु प्रास्वपनीय वा ॥२९॥
इस वस्तुको आगममें ग्रहण करनेके योग्य बताया है अथवा अयोग्य ऐसा जिस वस्तके विषयमें संशय हो उसके ग्रहण करनेमें शङ्कित नामका दोष माना है । अथवा यह वस्तु कहीं अधःकर्मके द्वारा तो निष्पन्न नहीं हुई ऐसा जिसके विषयमें संदेह होजाय, फिर भी उसको यदि ग्रहण करलिया जाय तो भी शंकित नामका दोष होता है।
अप्रासुक वस्तुके द्वारा अथवा प्रासुक किन्तु गुरु-भारी पदार्थके द्वारा ढकी हुई भोज्यसामग्रीको उ. घाडकर दिये जानेपर ग्रहण करनेमें पिहित नामका दोष लगता है । जैसा कि कहा भी है कि:
पिहितं यत्सचित्तन गुर्वचित्तेन वापि यत् ।
तत् त्यक्त्वेव च यद्देयं बोद्धव्यं विहितं हि तत् ।। प्रक्षित और निक्षिप्त दोषोंका लक्षण बताते हैं:
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अध्याय