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२००
२७०
२७१
२७१
५ विभक्तिवाले' "जीव अविभक्तिवाला
विभक्ति
... ..
२५८ ११ असंक्रामक
२५८ १२ जीव संक्रामक होता है।
२६४ १५ सतरह
२६५ ६ सम्यग्मिथ्यात्व २६५ २७ सत्ताकी
२६६ ५ जाता है । सासादन
·
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२६ १६, १७, १५
१७१८, १२ २७ अपेक्षा ३
२७२ ३२ १० सूक्ष्मसाम्पराय |२| '''" प्रकृतिक सक्रम
२७५ ७ २७५ ८
दो प्रकार के क्रोध दो प्रकारके मान और दो प्रकारके माया
नो, छह और तीन प्रकृतिक
२७५ ६
२७५ १७ उन्नीस
२५४ ६ स्त्री वेदका उपशमन कर देनेके श्रनन्तर
२८४ १२ छह
२६५ १० और सम्यग्मिथ्यादृष्टिके ३०५ १० इक्कीस
शुद्धि - पत्र
३१३४ की जा सकती हैं।
३२५ १७-१८ इस से सख्यातगुणित है । ३२३ २ हिदिउणीररा
३३० ८ लिए मिध्यात्व में जाकर
३५५ १२ कर्मोके अनुभाग " अपेक्षा जघन्यकाल
३५६ २० जघन्य
३५६ ८ एयसम ।
३६० ε समय और ३६२
२९ उन्नीस
४१० २० जघन्य काल
४२४ २२ चरमसमयवर्ती
५०१ १८ उत्कृष्ट
५०१ १६ त्रिस्थानीय भेद
•
५०२ ७ सर्वघाती है ।
५०२ ८ उत्कृष्ट
५१६
१६ हीन
१८ हीन
""
५५२ ७ श्रव प्रदेश की
८१
श्रविभक्तिवाला जीव विभक्तिवाला प्रविभक्ति
संक्रामक
जीव असंक्रामक होता है
सात
सम्यक्त्व
उपशमसम्यवत्वकी
जाता है । सतरह - प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थान असयतक्षायिक सम्यग्दृष्टिके होता है । - सासादन
१६, ७, १५
१८, १३, १२
अपेक्षा २, ३
१० सूक्ष्मसाम्पराय | १॥
प्रकृतिक तथा ११ प्रकृतिक सक्रम
दो प्रकारके क्रोध, सज्वलन क्रोध, दो प्रकारके मान, सज्वलन मान, दो प्रकारके माया और संज्वलन माया नौ, आठ, छः, पाँच, तीन और दो प्रकृतिक इक्कीस
X
सात
सम्यग्मिथ्यादृष्टि और सम्यग्हण्टिके
उन्नीस
की जा सकती हैं, ( किन्तु स्तिबुकसक्रमण हो सकता है )
X
दिउदीरणा
लिए सम्यग्मिथ्यात्व में जाकर
कर्मोके जघन्य अनुभाग
.....
" अपेक्षा काल
श्रजघन्य
एम
तोहुतो ।
समय व अन्तर्मुहूर्त और
इक्कीस
जघन्य श्रन्तरकाल
X
अनुत्कृष्ट
त्रिस्थानीय चतु स्थानीय भेद
देशघाती है । उत्कृष्ट अनुभागकी अपेक्षा सर्वघाती है।
धनुत्कृष्ट
X
X
श्रव जघन्य प्रदेशोकी