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गा० ६५] उपयोग-अनुयोगद्वार-गाथासूत्र-समुत्कीर्तना
५५७ (११) एक्कम्हि भवग्गहणे एक्ककसायम्हि कदि च उवजोगा।
एकम्हि या उवजोगे एककसाए कदि भवा च ॥६४॥ (१२) उवजोगवग्गणाओ कम्मि कसायम्मि केतिया होति ?
कदरिस्से च गदीए केवडिया वग्गणा होति ॥६५॥ इस प्रश्नका निर्णय भी आगे चूर्णिकार स्वयं करेंगे । इस प्रकार यह गाथा उक्त तीन अर्थोंका निरूपण करती है।
एक भवके ग्रहण-कालमें और एक कषायमें कितने उपयोग होते हैं, तथा एक उपयोगमें और एक कपायमें कितने भव होते हैं ? ॥६४॥
विशेषार्थ-एक भवके ग्रहण-कालमे ऐसा कहनेका अभिप्राय यह है कि नरक आदि चार गति-सम्बन्धी सवोमेसे किसी एक विवक्षित भवके ग्रहण करनेपर तत्सम्बन्धी स्थितिकालके भीतर क्रोधादिक कषायोमसे किसी एक कषाय-सम्बन्धी कालमें कितने उपयोग होते हैं ? क्या वे संख्यात होते हैं, अथवा असंख्यात ? जिस नरकादि विवक्षित भव-ग्रहणमे किसी एक विवक्षित कषायके उपयोग संख्यात अथवा असंख्यात होते हैं, वहॉपर शेष कषायोके उपयोग कितने होते है ? क्या तत्प्रमाण ही होते है, अथवा उससे हीनाधिक ? इस प्रकारका अर्थ इस गाथाके पूर्वार्धमे निबद्ध है। 'एक उपयोगमें और एक कषायमें कितने भव होते हैं,' इस पृच्छाका अभिप्राय यह है कि यहॉपर क्रोधादि कषाय-सम्बन्धी संख्यात, अथवा असंख्यात उपयोगोको आधार-स्वरूप मानकर पुनः उनमे अतीतकालिक भव कितने होते हैं ? इस प्रकारसे भवोको आधेयरूप मानकर उनके अल्पबहुत्व-सम्बन्धी अनुयोगद्वारकी सूचना की गई है । इसका निर्णय आगे चूर्णिसूत्रोके द्वारा किया जायगा ।
किस कषायमें उपयोग-सम्बन्धी वर्गणाएं कितनी होती हैं ? तथा किस गतिमें कितनी वर्गणाएं होती हैं ? ॥६५॥
विशेषार्थ-वर्गणा, विकल्प अथवा भेदको कहते है। वे वर्गणाएँ दो प्रकारकी होती हैं-कालोपयोग-वर्गणा और भावोपयोग-वर्गणा। इनमेंसे कालकी अपेक्षा कपायोके जघन्य उपयोगकालसे लेकर उत्कृष्ट उपयोगकाल तक निरन्तर अवस्थित विकल्पोको कालोपयोगवर्गणा कहते हैं । भावकी अपेक्षा तीव्र, मन्द आदि भावोसे परिणत कपायोके उदयस्थानसम्बन्धी जघन्य भेदसे लेकर उत्कृष्ट भेद तक पड्वृद्धि-क्रमसे अवस्थित विकल्पोको भावोपयोगवर्गणा कहते हैं । इन दोनो प्रकारकी वर्गणाओंके निरूपण करनेके लिए प्ररूपणा, प्रमाण
और अल्पबहुत्व ये तीन अनुयोगद्वार इस गाथा-द्वारा सूचित किये गये है। उनमेसे किस कषायमें कितनी उपयोगवर्गगाएँ होती है, इस पृच्छाके द्वारा दोनो प्रकारकी वर्गणाओके प्रमाण-अनुयोगद्वार-सम्बन्धी ओघ-प्ररूपणाकी सूचना की गई है । और, किस गतिमे