Book Title: Kasaya Pahuda Sutta
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta
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कसायपाहुड-सुत्तगाहा
६ मूलगाहा -
(१३८) किलेस्साए बद्धाणि केसु कस्मेसु वट्टमाणेण । सादेण असादेण च लिगेण च कम्हि खेत्तम्मि ॥१९१॥
भासगाहा
(१३९) १. लेस्सा साद असादे च अभज्जा कम्म- सिप्प - लिंगे च । खेत्तम्हि च भज्जाणि दु समाविभागे अभज्जाणि ॥ १९२॥ (१४०) २. दाणि पुव्ववद्धाणि होति सव्वेसुट्ठिदिविसेसेसु । सव्वेसु चाणुभागेसु णियमसा सव्वकिट्टी ॥ १९३॥ ७ मूलगाहा
(१४१) एगसमय पबद्धा पुण अच्छुत्ता केत्तिगा कहिं ट्ठिदी । भववद्धा अच्छुत्ताहिदी कहिं केत्तिया होंति ॥ १९४ ॥
भासगाहा
(१४२) १. छहं आवलियाणं अच्छुत्ता नियमसा समयपवद्धा । सव्वे द्विदिविसेसाणुभागेसु च चउन्हं पि ॥ १९५ ॥ (१४३) २. जा चावि बज्झमाणी आवलिया होदि पढमकिट्टीए । पुव्वावलियाणियमा अनंतरा चदुसु किट्टीसु ॥१९६॥ (१४४) ३. तदिया सत्तसु किट्टीस चउत्थी दससु होइ किट्टीसु । ते परं सेसाओ भवंति सव्वासु किट्टीसु ॥१९७॥ (१४५) ४. ए समयपवद्धा अच्छुत्ता णियमसा इह भवम् । सेसा भववद्धा खलु संक्रुद्धा होति बोद्धव्या ॥ १९८॥ ८ मूलगाहा
(१४६) एगसमयपत्रद्धाणं सेसाणि च कदिसु विदिविसेसेसु । भवसे सगाणि कदिसु च कदि कदि वा एगसमएण ॥ १९९ ॥
भासगाहा
(१४७) १. एकम्पिट्ठिदिविसेसे भवसेसग-समयपवद्धसेसाणि । णियमा अणुभागेषु य भवंति सेसा अनंतेसु || २००॥ (१४८) २. दिउत्तरसेढीए भवसेस - समयपवद्धसे साणि । गुत्तरमेगादी उत्तरसेढी असंखेज्जा ॥ २०१ ||
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