Book Title: Kasaya Pahuda Sutta
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta
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गाथानुक्रमणिका
९२७ ৰাথায়ু বৃg
३८ २६९
२०६
८४९
,
४३ २७३ २४४ ८९९ २०९ ८७४ २१० ८७५ ५२ २७८ ३२ २६५ १९५ ८२९
८७८
गाथा-चरण किं अंतरं करतो किंठिदियाणि कम्माणि किलेस्साए बद्धाणि किं वेदेतो किर्टि किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकदम्मि कम्से किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकदम्मि कम्मे किट्टीकयवीचारे किट्टी करेदि णियमा किट्टी च द्विदिविसेसेसु किट्टी च पदेसरगण किट्टीदो किट्टि पुण किट्टीदो किट्टि पुण किमिरागरत्तसमगो के अंसे झीयदे पुत्वं केचिरमुवसामिजदि केवचिरं उवजोगो केवडिया उवजुत्ता केवदिया किट्टीओ केवलदसण-णाणे को कमाए हिदीए कोधादिवग्गणादो कोहादी उवजोगे कोहो चउविहो वुत्तो कोहो य कोव रोसो य कोहं च छुहइ माणे
२३०
,
गाथाङ्क पृष्ठ । गाथा-चरण
१५१ ७७३ | चत्तारि तिग चदुक्के ___९४ ६१५ | चत्तारि य खवणाए एक्का १९१ ८२७ चत्तारि य पठ्ठवए
चत्तारि वेदयम्मि दु ८४८ चदुर दुगं तेवीसा
चरिमे वादररागे
चरिमो वादरागो २०७ ८७३ चरिमो य सुहुसरागो
चोदसग णवगमादी
चोद्दलग दसग सत्तग १६४ ८०७ छण्हं आवलियाणं १६७ ८०९
छन्वीस सत्तवीसा य १६९ ८११
छवीस सत्तवीसा तेवीसा २२९ ८८९ जसणाममुच्चगोदं
जा चावि वज्झमाणी ७३ ५९९ जा वग्गणा उदीरेदि ९३ ६१५ जाव ण छदुमत्थादो ११८ ६७६ जा हीणा अणुभागेण
जे चावि य अणुभागा जे जे जम्हि कसाए जो कम्मंसो पविसदि
जो जम्हि संछुहंतो १७३ ८१४ जो जं संकामेदि य ६४ २७६ जं किहि वेदयदे
जं चावि संछुहंतो
ज चावि संहतो १८९८ जं जं खवेदि किहि ११९ ६७६ जं वेदेतो किहि ।
६०५ झीणठिदिकम्मसे ११३ ६४१ द्विदि-अणुभागे अंसे २३२ ८९५ दिदि उत्तरसेढीए
णग-पुढवि-चालुगोदय १५० ७७३ णव अट्ठ सत्त छक १६५ ८०७ णाणम्हि य तेवीसा १४६ ७७० णिहा य णीचगोदं १४९ ७७२ णियमा लदासमादो
२० ३२ ! णियमा लदासमादो
४९ २७७ २१२ ८७७ ११६ ८३१ २२६ ८८६
८९९ १७२ ८१४ २२७ ८८७
६८ ५५९ २२४ ८८५
६२
८
१४० १७६१
TO
६२ ४६६ १७७ ८१७
५९७
२१७१८९९
कं करणं वोच्छिजदि कं ठाणं वेदंतो खवणाए पट्ठवगो जम्हि खीणेसु कसाएसु य गाहासदे असीदे गुणदो अणंतगुणहीणं गुणसेढि अणंतगुणा गुणसेढि अणंतगुणेगुणसेढि असंखेजा च चक्खू सुदं पुधत्तं
२१८ ८८२ २१६ ७८१ १२६ ७५७ १५७ ७८२ २०१ ८३४ ७१ ५९७ ५३ २७८ ક૭ ૨૭૭ १३४ ७६२ ७६ ६०१ ७६ ६०२
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