Book Title: Kasaya Pahuda Sutta
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta

View full book text
Previous | Next

Page 1015
________________ परिशिष्ट १ कसायपाहुड- सुत्त गाहा २ ॥ पुव्वपि पंचमम्मि दुदसमे वत्थुम पाहुडे तदिए । पेज्जं ति पाहुडम्पि दु हवदि कसायाण पाहुडं णाम ॥ १ ॥ गाहास असीदे अत्थे पण्णरसधा वित्तम्मि | वोच्छामि सुत्तगाहा जयि गाहा जम्मि अत्थम्मि ॥ पेज-दोसविहत्ती द्विदि अणुभागे च बंधगे चेव । तिण्णेदा गाहाओ पंचसु अत्थेसु णादव्वा ॥ ३ ॥ चार वेदम्म दु उवजोगे सत्त होंति गाहाओ । सोलय य चउट्ठाणे वियंजणे पंच गाहाओ ॥ ४ ॥ दंसणमोहस्सुवसापणार पण्णारस होति गाहाओ । पंचेव सुतगाहा दंसणमोहस्स खवणाए ॥ ५ ॥ ली य संजमा संजमस्स लगी तहा चरितस्स । दो वि एका गाहा अट्ठेबुवसामणद्धम् ॥ ६ ॥ चत्तारि य पट्टचए गाहा संकामए वि चत्तारि । ओट्टणाए तिणि दु एक्कारस होंति किट्टीए ॥ ७ ॥ चत्तारि य खवणाए एक्का पुण होदि खीणमोहस्स । एका संगणी अट्ठावीसं समासेण ॥ ८ ॥ किट्टी कवीचारे संगहणी खीणमोहपट्टचए । सदा गाहाओ अण्णाओ सभासगाहाओ ॥ ९॥ संकामण ओट्टण किट्टी खवणाए एकवीसं तु । दाओ सुत्तगाहाओ सुण अण्णा भासगाहाओ ॥ १० ॥ पंच यतिणि य दो छक्क चउक्क तिण्णि तिण्णि एक्का य । चत्तारि यतिणि उभे पंच य एक तह य छक्कं ॥ ११ ॥ तिण्णि य चउरो तह दुग चत्तारि य होंति तह चउक्कं च । दो पंचैव य एका अण्णा एक्का य दस दो य ॥ १२ ॥ ( १ ) पेज्ज दोस विहत्ती द्विदि अणुभागे च बंधगे चेय । वेदग उवजोगे विय चउट्ठाण वियंजणे चेय ॥ १३ ॥ ( २ ) सम्पत्त देस विरयी संजम उवसामणा च खवणा च । दंसण-चरित्त मोहे अद्धापरिमाणणिसो || १४ ||

Loading...

Page Navigation
1 ... 1013 1014 1015 1016 1017 1018 1019 1020 1021 1022 1023 1024 1025 1026 1027 1028 1029 1030 1031 1032 1033 1034 1035 1036 1037 1038 1039 1040 1041 1042 1043