Book Title: Kasaya Pahuda Sutta
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta
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कसायपाहुड-सुत्तगाहा
भासगाहा
(९०) १. बंधेण होइ उदओ अहिओ उदएण संकमो अहिओ । गुणसे अतगुणा बोद्धव्वा होइ अणुभागे ॥ १४३ ॥ (९१) २. बंधेण होइ उदओ अहिओ उदरण संकमो अहिओ । गुणसे असंखेज्जा च पदेसग्गेण बोद्धव्या ॥ १४४॥ (९२) ३. उदओ च अनंतगुणो संपहि-बंधेण होइ अणुभागे । सेकाले उदयादो संपहिबंधो अनंतगुणो ॥ १४५ ॥ (९३) ४. गुण सेढिअनंतगुणेणूणाए वेदगो दु अणुभागे । गणणा दियंत सेठी पदेस - अग्गेण बोद्धव्या ॥ १४६॥
४ मूलगाहा
(९४) बंधो व संकमो वा उदओ वा किं सगे सगे ट्ठाणे | से काले से काले अधिओ हीणो समो वा पि ॥ १४७॥
भासगाहा
(९५) १. बंधोदएहिं णियमा अणुभागो होदि पंतगुणहीणो । से काले से काले भज्जो पुण संकमो होदि ॥ १४८ ॥ (९६) २. गुणसेटि असंखेज्जा च पदेसग्गेण संकमो उदओ । से काले से काले भज्जो बंध पदेसग्गे ॥ १४९ ॥ (९७) ३. गुणदो अनंतगुणहीणं वेदयदि नियमसा दु अणुभागे । अहिया च पदेगग्गे गुणेण गणणादियंतेण ॥ १५०॥
५ मूलगाहा
( ९८ ) किं अंतरं करेंतो वढदि हायदि हिदी य अणुभागे । णिरुवकमा च वड्डी हाणी वा केच्चिरं कालं ॥ १५१ ॥
भासगाहा
( ९९ ) १. ओवट्टणा जहण्णा आवलिया ऊणिया विभागेण । एसा ट्ठदी जहण्णा तहाणुभागे सणंतेसु ॥ १५२॥ (१००) २. संकामेदुवडुदि जे अंसे ते अवट्टिदा होंति ।
आवलियं से काले तेण परं होंति भजिदव्वा ॥ १५३ ॥ (१०१) ३. ओकड्डदि जे अंसे से काले ते च होंति भजियन्त्रा । वढी अट्ठाणे हाणी संकमे उदए || १५४ ||
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