Book Title: Kasaya Pahuda Sutta
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta

View full book text
Previous | Next

Page 1016
________________ कसाय पाहुड सुत्त आवलिय अणायारे चक्खिदिय-सोद-घाण-जिव्भाए। मण-वयण-काय पासे अवाय-ईहा सुदुस्सासे ॥ १५ ॥ केवलदसण-णाणे कसाय सुक्केक्कए पुधत्ते य । पडिवादुवसातय खतए संपराए य ॥ १६ ॥ माणद्धा कोहद्धा मायद्धा तहय चेव लोहद्धा । खुद्धभवग्गहणं पुण किट्टीकरणं च बोद्धव्वा ॥ १७ ॥ संकामण-ओवट्टण-उवसंत कसाय-खीणमोहद्धा । उवसातय-अद्धा खत-अद्धा य बोद्धव्या ॥ १८ ॥ णिव्याघादेणेदा होति जहण्णाओ आणुपुबीए । एत्तो अणाणुपुची उकस्सा होंति भजियव्या ॥ १९ ॥ चक्खू सुदं पुधत्तं माणोवाओ तहेव उवसंते । उवसातय-अद्धा दुगुणा सेसा हु सविसेसा ॥ २० ॥ १-३ पेज-दोस-विहत्ति-अस्थाहियारा (३) पेज वा दोसो वा कम्मि कसायम्मि कस्स व णयस्स । दुट्ठो व कम्मि दव्वे पियायदे को कहि वा वि ॥ २१ ।। (४) पयडीए मोहणिज्जा विहत्ती तह हिदीए अणुभागे । उकस्समणुक्कस्सं झीणमझीणं च ठिदियं वा ।। २२ ।। ४-५ वंध-संकम-अस्थाहियारा (५) कदि पयडीओ बंधदि हिदि-अणुभागे जहण्णमुक्कस्सं । संकामेइ कदि वा गुणहीणं वा गुणविसिटुं ।। २३ ॥ संकम उवक्कमविही पंचविहो चउन्विहो य णिक्खेवो । णयविहिपयदं पयदे च णिग्गमो होइ अकृविहो ।। २४ ॥ एकेकाए संकमो दुविहो संकमविही य पयडीए । संकमपडिग्गहविही पडिग्गहो उत्तम-जहण्णो ॥ २५ ॥ पयडि-पयडिहाणेसु संकमो असंकमो तहा दुविहो । दुविहो पडिग्गहविही दुविहो अपडिग्गहविही य ॥ २६ ॥ अट्ठावीस चउचीस सत्तरस सोलसेव पण्णरसा । एदे खलु मोत्तणं सेसाणं संकमो होइ ॥ २७ ॥ सोलसग वारसदृग वीसं वीसं तिगादिगधिगा य । एदे खलु मोत्तूणं सेसाणि पडिग्गहा होति ॥ २८ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 1014 1015 1016 1017 1018 1019 1020 1021 1022 1023 1024 1025 1026 1027 1028 1029 1030 1031 1032 1033 1034 1035 1036 1037 1038 1039 1040 1041 1042 1043