Book Title: Kasaya Pahuda Sutta
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta

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Page 1017
________________ ९०९ कसायपाहुड सुत्तगाहा छब्बीस सत्तवीसा य संक्रमो णियम चदुसु हाणेसु । वावीस पण्णरसगे एकारस ऊणवीसाए ॥ २९ ॥ सत्तारसेगवीसासु संकयो णियम पंचवीसाए । णियमा चदुसु गदीसु य णियमा दिट्ठीगए तिविहे ॥ ३० ॥ वावीस पण्णरसगे सत्तग एकारसूणवीसाए । तेवीस संकमो पुण पंचसु पंचिंदिएसु हवे ॥ ३१ ॥ चोदसग दसग सत्तग अट्ठारसगे च णियम वावीसा । णियमा मणुसमईए विरदे मिस्से अविरदे य ॥ ३२ ॥ तेरसय णवय सत्तय सत्तारस पणय एकवीसाए । एगाधिगाए वीसाए संकमो छप्पि सम्पत्ते ॥ ३३ ॥ एत्तो अवसेसा संजमम्हि उवसामगे च खवगे च । वीसा य संकम दुगे छक्के पणगे च बोद्धव्या ॥ ३४ ॥ पंचसु च उणवीसा अट्ठारस चदुसु होंति बोद्धव्या । चोद्दस छसु पयडीसु य तेरसय छक्क-पणगम्हि ॥ ३५ ॥ पंच चउक्के वारस एक्कारस पंचगे तिग च उक्के । दसगं चउक्क-पणगे णवगं च तिगरिम बोद्धव्वा ।। ३६ ॥ अट्ठ दुग तिग चदुक्के सत्त चदुक्के तिगे च बोद्धव्या । छक्कं दुगम्हि णियमा पंच तिगे एक्कग दुगे वा ॥ ३७॥ चत्तारि तिग चदुक्के तिणि तिगे एक्कगे च वोद्धव्वा । दो दुसु एगाए वा एगा एगाए बोद्धव्वा ॥ ३८ ॥ अणुपुव्यमणणुपुव्वं झीणमझीणं च दंसणे मोहे ।। उवसामगे च खवगे च संकमे मग्गणोवाया ॥ ३९ ॥ एक्केक्कम्हि य हाणे पडिग्गहे संकमे तदुभए च । भविया वाऽभविया वा जीवा वा केसु ठाणेसु ॥ ४० ॥ कदि कम्हि होति ठाणा पंचविहे भावविधिविसेसम्हि । संकमपडिग्गहो वा समाणणा वाऽध केवचिरं ॥ ४१ ॥ णिरयगइ-अमर-पंचिदिए सु पंचेव संकमट्ठाणा । सच्चे मणुसगइए सेसेसु तिगं असण्णीसु ॥ ४२ ॥ चदुर दुगं तेवीसा मिच्छत्ते मिस्सगे य सम्मत्ते । वावीस पणय छक्कं विरदे मिस्से अविरदे य ॥ ४३ ॥ तेवीस सुक्कलेस्से छक्कं पुण तेउ पम्मलेस्सासु । पणयं पुण काऊए णीलाए किण्हलेस्साए ॥ ४४ ॥

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