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गा० १५६ ]
चारित्र मोक्षपक उत्कर्षणादिक्रिया निरूपण
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णाणि जाव उक्क सिगा अइच्छावणाति । ४१९. उक्कस्सिया पुण अइच्छावणा केत्तिगा ? ४२०. जा जस्स उक्कस्सिगा आवाहा सा उकस्सिया आवाहा समयाहियावलियूणाए उक्कस्सिया अइच्छावणा ।
४२१. उक्कड्डिज्जमाणियाए हिदीए जहण्णगो णिखेवो थोवो । ४२२. ओकड्डिज्जमाणियाए ठिदीए जहण्णगो णिक्खेवो असंखेज्जगुणो । ४२३. ओकड्डिड्ज्जमाणियाए हिदीए जहणिया अधिच्छावणा थोवूणा दुगुणा । ४२४ ओकड्डिज्जमाणिया ट्ठिदीए उक्कस्सिया अइच्छावणा णिव्वाघादेण उक्कड्डिज्जमाणाए द्विदीए जहणिया अइच्छावणा च तुल्लाओ विसेसाहियाओ । ४२५. आवलिया तत्तिया चेव । ४२६. उक्कडगा उक्कस्सिया अधिच्छावणा संखेज्जगुणा । ४२७. ओकड्डणादो वाघादेण उक्कस्सिया अधिच्छावणा असंखेज्जगुणा । ४२८ उक्कड्डणादो उक्कस्सगो णिक्खेवो
आवली, किसी स्थितिकी तीन समय अधिक आवली है । इस प्रकार निरन्तर एक-एक समय अधिक बढ़ते हुए उत्कृष्ट अतिस्थापनाका प्रमाण प्राप्त होनेतक सर्व अतिस्थापना स्थान जानना चाहिए ॥ ४१७-४१८॥
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? ॥ ४१९ ॥
शंका- उत्कृष्ट अतिस्थापनाका प्रमाण कितना है समाधान - जिस कर्मकी जो उत्कृष्ट आबाधा है वह एक समय - अधिक आवलीसे eta आबाधा उस कर्मकी उत्कृष्ट अतिस्थापनाका प्रमाण है ॥ ४२० ॥
जिस प्रकार उत्कर्षण विषयक जघन्य उत्कृष्ट निक्षेप और अतिस्थापनाका प्रमाण बतलाया है, उसी प्रकार अपकर्षण सम्बन्धी निक्षेप और अतिस्थापनाका भी जान लेना चाहिए | अब इन्हीं उत्कर्षण - अपकर्पण सम्बन्धी अल्पबहुत्वको कहते हैं
चूर्णिसू० - उत्कर्षण की जानेवाली स्थितिका जघन्य निक्षेप सबसे कम है, ( क्योकि वह आवली के असंख्यातवे भागप्रमाण है ।) इससे अपकर्षण की जानेवाली स्थितिका जघन्य निक्षेप असंख्यातगुणा है, ( क्योंकि उसका प्रमाण एक समय अधिक आवलीका त्रिभाग है ।) इससे अपकर्पण की जानेवाली स्थितिकी जघन्य अतिस्थापना कुछ कम दुगुनी है । ( क्योंकि उसका प्रमाण आवलीके एक समय कम दो त्रिभाग प्रमाण है | ) अपकर्षण की जानेवाली स्थितिकी उत्कृष्ट अतिस्थापना और निर्व्याघातकी अपेक्षा उत्कर्पणकी जानेवाली स्थितिकी जघन्य अतिस्थापना ये दोनो परस्पर तुल्य और विशेष अधिक हैं । आवलीका प्रमाण उतना ही है । इससे उत्कर्षण सम्बन्धी उत्कृष्ट अतिस्थापना संख्यातगुणी है । ( क्योकि उसका प्रमाण एक समय अधिक आवलीसे हीन उत्कृष्ट आबाधाकाल है | ) व्याघातकी अपेक्षा अपकर्पण सम्बन्धी उत्कृष्ट अतिस्थापना असंख्यातगुणी है । ( क्योकि वह एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिकांडकप्रमाण है ।) उत्कर्पणविपयक उत्कृष्ट निक्षेप विशेष अधिक है । ( यहाॅ विशेष अधिकका प्रमाण अन्तःकोड़ाकोड़ी जानना चाहिए, इसका कारण यह है