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कसाय पाहुड सुत्त [११ दर्शनमोहक्षपणाधिकार करणद्धा संखेजगुणा । १०१. गुणसेडिणिक्खेवो विसेसाहिओ। १०२. सम्मत्तस्स दुचरिमट्ठिदिखंडयं संखेज्जगणं । १०३. तस्सेव चरिमट्टिदिखंडयं संखेजजगणं । १०४. अहवस्सहिदिगे संतकम्मे सेसे जं पढमं द्विदिखंडयं तं संखेज्जगुणं । १०५. जहणिया आवाहा संखेज्जगुणा । १०६. उक्कस्सिया आवाहा संखेज्जगुणा । १०७. पढमसमयअणुभागं अणुसमयोवट्टमाणगस्स अट्ट वस्साणि हिदिसंतकम्मं संखेज्जगणं । १०८. सम्मत्तस्स असंखेज्जवस्सियं चरिमद्विदिखंडयं असंखेजगणं । १०९. सम्मामिच्छत्तस्स चरिममसंखेरजवस्सियं द्विदिखंडयं विसेसाहियं । ११०. मिच्छत्ते खविदे सम्मत्त-सम्मामिच्छताणं पडमद्विदिखंडयमसंखेज्जगणं । १११. मिच्छत्तसंतकम्मियस्स सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं चरिमद्विदिखंडयमसंखेज्जगुणं । ११२. मिच्छत्तस्स चरिमद्विदिखंडयं विसेसाहियं । ११३. असंखेज्जगणहाणिहिदिखंडयाणं पहमटिदिखंडयं मिच्छत्त-सम्मत्तसम्मामिच्छत्ताणमसंखेज्जगुणं । ११४. संखेज्जगुणहाणिद्विदिखंडयाणं चरिमडिदिखंडयं जं तं संखेज्जगुणं । ११५. पलिदोवमद्विदिसंतकम्मादो विदियं द्विदिखंडयं संखेजगुणं । वृत्ति करणका काल संख्यातगुणित है । अनिवृत्तिकरणके कालसे अपूर्वकरणका काल संख्यातगुणित है। अपूर्वकरणके कालसे गुणश्रेणीनिक्षेप विशेष अधिक है । गुणश्रेणीनिक्षेपसे सम्यक्त्वप्रकृतिका द्विचरम स्थितिकांडक संख्यातगुणित है । सम्यक्त्वप्रकृतिके द्विचरम स्थितिकांडकसे सम्यक्त्वप्रकृतिका ही अन्तिम स्थितिकांडक संख्यातगुणित है। सम्यक्त्वप्रकृतिके अन्तिम स्थितिकांडकसे सम्यक्त्वप्रकृतिके आठ वर्पप्रमाण स्थितिसत्त्वके शेष रहनेपर जो प्रथम स्थितिकांडक होता है, वह संख्यातगुणित है। इससे कृतकृत्यवेदकके प्रथम समयमे संभव सर्व कर्म-सम्बन्धी जघन्य आवाधा संख्यातगुणित है । इस जघन्य आवाधासे अपूर्वकरणके प्रथम समयमे बंधनेवाले कोंकी उत्कृष्ट आवाधा संख्यातगुणित है। इस उत्कृष्ट आवाधासे अनुभागको प्रतिसमय अपवर्तन करनेवाले जीवके प्रथम समयमे होनेवाला आठ वर्षप्रमाण सम्यक्त्वप्रकृतिका स्थितिसत्त्व संख्यातगुणा है। इस आठ वर्पप्रमाण सम्यक्त्वप्रकृतिके स्थितिसत्त्वसे सम्यक्त्वप्रकृतिका असंख्यात वर्षवाला अन्तिम स्थितिकांडक असंख्यातगुणा है। सम्यक्त्वप्रकृतिके अन्तिम स्थितिकांड कसे सम्यग्मिथ्यात्वका असंख्यात वर्षवाला अन्तिम स्थितिकांडक विशेष अधिक है। ( यहाँ विशेष अधिकका प्रमाण एक आवलीसे कम आठ वर्षप्रमाण जानना चाहिए। ) सम्बग्मिथ्यात्वके अन्तिम स्थितिकाडकसे मिथ्यात्वके क्षपण करनेपर सम्यक्त्वप्रकृति और सम्यग्मिथ्यात्वका प्रथम स्थितिकांडक असंख्यातगुणा है। इससे मिथ्यात्वप्रकृतिकी सत्तावाले जीवके सम्यक्त्वप्रकृति और सम्यग्मिथ्यात्व-सम्बन्धी अन्तिम स्थितिकांडक असंख्यातगुणित है । इससे मिथ्यात्वका अन्तिम स्थितिकांडक विशेष अधिक है । मिथ्यात्वके अन्तिम स्थितिकांडकसे असंख्यात गुणहानिरूप स्थितिकांडकवाले, मिथ्यात्व, सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्वप्रकृतिका प्रथम स्थितिकांडक असंख्यातगुणित है । इससे संख्यात गुणहानिरूप स्थितिकांड कवाले उपयुक्त तीनों कर्मोंका जो अन्तिम स्थितिकांडक है, यह संख्यातगुणित है। पल्योपमप्रमाण स्थितिसत्त्वसे मिथ्यात्वादि तीनो कर्मोंका द्वितीय स्थितिकांडक संख्यातगुणित है। इससे जिस