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गा० ६९ ]
कषायोपयोग काल-अल्पबहुत्व-निरूपण
जहण्णियाए माणोवजोगवाए जीवा असंखेज्जगुणा । २१५. अणुक्कस्समजहण्णासु माणोवजोगद्वासु जीवा असंखेज्जगुणा । २१६. जहण्णए कसायुदयट्टाणे उक्कस्सियाए माणोवजोगवाए जीवा असंखेज्जगुणा । २१७. जहण्णियाए माणोवजोगद्धाए जीवा असंखेज्जगुणा । २१८. अणुक्कस्समजहण्णालु माणोवजोगद्धासु जीवा असंखेज्जगुणा । २१९. अणुक्क समजणेसु अणुभागट्ठाणेसु उक्कस्सियाए माणोवजोगाए जीवा असंखेज्जगुणा । २२०. जहणियाए माणोवजोगवाए जीवा असंखेज्जगुणा । २२१. अणुक्क समजण्णासु माणोवजोग द्धासु जीवा असंखेज्जगुणा । २२२. एवं सेसाणं कसायाणं। २२३. एत्तो छत्तीसपदेहि अप्पाबहुअं कायन्वं ।
और जघन्य मानकषायोपयोगकालमे जीव असंख्यातगुणित होते है । इससे उत्कृष्ट कषायो - दयस्थानमें और अनुत्कृष्ट- अजघन्य मानकषायोपयोगकालमें जीव उपयुक्त पदसे असंख्यात - गुणित होते है । इससे जवन्य कषायोदयस्थानमे और उत्कृष्ट मानकषायोपयोगकालमें जीव असंख्यातगुणित होते है । इससे जघन्य कपायोदयस्थानमे और जघन्य मानकपायोपयोगकालमे जीव असंख्यातगुणित होते है । इससे जघन्य कषायोदयस्थानमे और अनुत्कृष्ट- अजघन्य मानकषायोपयोगकालमे जीव असंख्यातगुणित होते है । इससे अनुत्कृष्ट - अजघन्य अनुभागस्थानमें और उत्कृष्ट मानकषायोपयोगकालमें जीव असंख्यातगुणित होते है । इससे अनुत्कृष्टअजवन्य अनुभागस्थानमे और जघन्य मानकषायोपयोगकालमे जीव असंख्यातगुणित होते हैं । इससे अनुत्कृष्ट अजघन्य अनुभागस्थानमे और अनुत्कृष्ट- अजघन्य मानकषायोपयोगकालमें जीव असख्यातगुणित होते हैं ।। २११-२२१॥
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चूर्णि सू० - जिस प्रकार से उपर्युक्त नौ पदोके द्वारा मानकषायोपयोगसे परिणत जीवों का निर्णय किया गया है, उसी प्रकारसे क्रोध माया और लोभ, इन शेप तीन कपायो - पयोगोसे परिणत जीवो के अल्पबहुत्वका भी निर्णय करना चाहिए ॥ २२२॥
चूर्णि स्०[0- अब इससे आगे इसी उपयुक्त स्वस्थानपदसम्बन्धी अल्पबहुत्वसे परस्थानपदसम्बन्धी अल्पबहुत्व भी छत्तीस पदोके द्वारा सिद्ध करना चाहिए ॥ २२३ ॥ विशेषार्थ - वह छत्तीस पदगत अल्पबहुत्व इसप्रकार है - उत्कृष्ट कपायोदयस्थानमे और उत्कृष्ट मानोपयोगकालमे उपयुक्त जीव सबसे कम होते है । इससे उत्कृष्ट कपायो - दयस्थानमे और उत्कृष्ट क्रोधोपयोगकालसे परिणत जीव विशेष अधिक होते हैं । इससे उत्कृष्ट कषायोदयस्थानमे उत्कृष्ट माया- कषायके उपयोगकालसे परिणत जीव विशेष अधिक होते है । इससे उत्कृष्ट कपायोदयस्थानमें उत्कृष्ट लोभकषायके उपयोगकालसे परिणत जीव विशेष अधिक होते हैं । इससे उत्कृष्ट कषायोदयस्थानमें जघन्य मानक पायके उपयोगकाल से परिणत जीव असंख्यातगुणित होते हैं । इससे उत्कृष्ट कपायोदयस्थानमे जघन्य क्रोधो - पयोगकालसे परिणत जीव विशेष अधिक होते है । इससे उत्कृष्ट कपायोदयस्थान में जघन्य मायाकपा के उपयोगकालसे परिणत जीव विशेष अधिक होते है । इससे उत्कृष्ट कपायोदय