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कषायोपयुक्त-भव-अल्पबहुत्व-निरूपण
५७७ १५५. एवं माण-माया-लोभोवजोगाणं । १५६. एदेण कारणेण जे असंखेज्जलोभोवजोगिगा भवा ते भवा थोवा । १५७ जे असंखेज्जमायोवजोगिगा भवा ते भवा असंखेज्जगुणा । १५८. जे असंखेज्जमाणोवजोगिगा भवा ते भवा असंखेज्जगुणा । १५९. जे असंखेन्जकोहोवजोगिगा भवा ते भवा असंखेज्जगुणा । १६०. जे संखेज्जकोहोवजोगिगा भवा ते भवा असंखेज्जगुणा । १६१. जे संखेज्जमाणोजोगिगा भवा ते भवा विसेसाहिया । १६२. जे संखेज्जमायोवजोगिगा भवा ते भवा विसेसाहिया । १६३. जे संखेज्जलोभोवजोगिगा भवा ते भवा विसेसाहिया ।
संख्यात सहस्र उपयोगकाल-बार एक वर्पके भीतर प्राप्त होते है, तो जघन्य परीतासंख्यातप्रमाण उपयोगोके काल-वारके कितने वर्ष प्राप्त होगे ? इसप्रकार त्रैराशिक करनेसे जघन्यपरीतासंख्यातके संख्यातवे भागप्रमाण वर्ष प्राप्त होते हैं। पुनः इतने अर्थात् जघन्यपरीतासंख्यातके संख्यातवें भागप्रमाण वर्षोंका जो एक भव होगा, उसमे क्रोधकपायसम्बन्धी उपयोगकाल-वार असंख्यात होते है। इसका कारण यह है कि यदि एक वर्षके भीतर संख्यात सहस्र क्रोधके उपयोगकाल-वार प्राप्त होते है, तो जघन्यपरीतासंख्यातके संख्यातवें भागप्रमाण वर्षों के भीतर कितने उपयोग-बार प्राप्त होगे ? इस प्रकार त्रैराशिक करनेपर जघन्यपरीतासंख्यात-प्रमाण क्रोधकपाय-सम्बन्धी उपयोगकाल-वार प्राप्त होते है। इस प्रकार इस सूत्रसे क्रोधक संख्यात और असंख्यात उपयोगवाले भवोका विषय-विभाग बतलाया । सूत्र-निर्दिष्ट कालसे ऊपरकी आयुवाले सब जीवोके असंख्यात ही उपयोगकाल-बार देखे जाते हैं । तथा इससे अधस्तन प्रसाणवाले वर्षोंके भवमे क्रोधकषायके उपयोगकाल-वार संख्यात ही होते हैं।
___चूर्णिसू०-इसीप्रकार मान, माया और लोभकषायसम्बन्धी संख्यात और असंख्यात उपयोगवाले भवोका विषय-विभाग जानना चाहिये । इसकारणसे जो असंख्यात लोभकषायसम्बन्धी उपयोग-वारवाले भव है, वे भव सबसे कम है। जो असंख्यात मायाकषायसम्बन्धी उपयोग-बारवाले भव हैं वे भव ऊपर बतलाये गये भवोसे असंख्यातगुणित हैं। जो असंख्यात मानकषायसम्बन्धी उपयोग-वारवाले भव है, वे भव ऊपर कहे गये भवोसे असंख्यातगुणित हैं। जो असंख्यात क्रोधकपायसम्बन्धी उपयोग-वारवाले भव हैं, वे भव ऊपर बतलाए गये मानकषायसम्बन्धी भवोसे असंख्यातगुणित हैं । जो क्रोधकषायसम्बन्धी संख्यात उपयोग-वारवाले भव है, वे भव क्रोधके असंख्यात उपयोग-वारवाले भवोसे असंख्यातगुणित हैं । जो मानकषायसम्बन्धी संख्यात उपयोगवाले भव हैं, वे भव क्रोधके संख्यात उपयोगवाले भवोसे विशेष अधिक हैं । जो मायाकपायसम्बन्धी संख्यात उपयोगवाले भव हैं, वे भव मानके संख्यात उपयोगवाले भवोसे विशेप अधिक है। जो लोभकपायसम्बन्धी संख्यात उपयोगवाले भव हैं, वे भव मायाके संख्यात उपयोगवाले भवोसे विशेप अधिक है ॥१५५-१६३॥
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