Disclaimer: This translation does not guarantee complete accuracy, please confirm with the original page text.
Exposition of the Multiplicity and Paucity of Existence Influenced by Passions (Kashayas)
155. Thus, the existences influenced by pride (mana), deceit (maya), and greed (lobha) are explained. 156. Due to this reason, the existences with innumerable greed-influenced activities are the least in number. 157. The existences with innumerable deceit-influenced activities are innumerable times more than the previous ones. 158. The existences with innumerable pride-influenced activities are innumerable times more than the previous ones. 159. The existences with innumerable anger-influenced activities are innumerable times more than the previous ones. 160. The existences with countable anger-influenced activities are innumerable times more than the previous ones. 161. The existences with countable pride-influenced activities are particularly more. 162. The existences with countable deceit-influenced activities are particularly more. 163. The existences with countable greed-influenced activities are particularly more.
________________
कषायोपयुक्त-भव-अल्पबहुत्व-निरूपण
५७७ १५५. एवं माण-माया-लोभोवजोगाणं । १५६. एदेण कारणेण जे असंखेज्जलोभोवजोगिगा भवा ते भवा थोवा । १५७ जे असंखेज्जमायोवजोगिगा भवा ते भवा असंखेज्जगुणा । १५८. जे असंखेज्जमाणोवजोगिगा भवा ते भवा असंखेज्जगुणा । १५९. जे असंखेन्जकोहोवजोगिगा भवा ते भवा असंखेज्जगुणा । १६०. जे संखेज्जकोहोवजोगिगा भवा ते भवा असंखेज्जगुणा । १६१. जे संखेज्जमाणोजोगिगा भवा ते भवा विसेसाहिया । १६२. जे संखेज्जमायोवजोगिगा भवा ते भवा विसेसाहिया । १६३. जे संखेज्जलोभोवजोगिगा भवा ते भवा विसेसाहिया ।
संख्यात सहस्र उपयोगकाल-बार एक वर्पके भीतर प्राप्त होते है, तो जघन्य परीतासंख्यातप्रमाण उपयोगोके काल-वारके कितने वर्ष प्राप्त होगे ? इसप्रकार त्रैराशिक करनेसे जघन्यपरीतासंख्यातके संख्यातवे भागप्रमाण वर्ष प्राप्त होते हैं। पुनः इतने अर्थात् जघन्यपरीतासंख्यातके संख्यातवें भागप्रमाण वर्षोंका जो एक भव होगा, उसमे क्रोधकपायसम्बन्धी उपयोगकाल-वार असंख्यात होते है। इसका कारण यह है कि यदि एक वर्षके भीतर संख्यात सहस्र क्रोधके उपयोगकाल-वार प्राप्त होते है, तो जघन्यपरीतासंख्यातके संख्यातवें भागप्रमाण वर्षों के भीतर कितने उपयोग-बार प्राप्त होगे ? इस प्रकार त्रैराशिक करनेपर जघन्यपरीतासंख्यात-प्रमाण क्रोधकपाय-सम्बन्धी उपयोगकाल-वार प्राप्त होते है। इस प्रकार इस सूत्रसे क्रोधक संख्यात और असंख्यात उपयोगवाले भवोका विषय-विभाग बतलाया । सूत्र-निर्दिष्ट कालसे ऊपरकी आयुवाले सब जीवोके असंख्यात ही उपयोगकाल-बार देखे जाते हैं । तथा इससे अधस्तन प्रसाणवाले वर्षोंके भवमे क्रोधकषायके उपयोगकाल-वार संख्यात ही होते हैं।
___चूर्णिसू०-इसीप्रकार मान, माया और लोभकषायसम्बन्धी संख्यात और असंख्यात उपयोगवाले भवोका विषय-विभाग जानना चाहिये । इसकारणसे जो असंख्यात लोभकषायसम्बन्धी उपयोग-वारवाले भव है, वे भव सबसे कम है। जो असंख्यात मायाकषायसम्बन्धी उपयोग-बारवाले भव हैं वे भव ऊपर बतलाये गये भवोसे असंख्यातगुणित हैं। जो असंख्यात मानकषायसम्बन्धी उपयोग-वारवाले भव है, वे भव ऊपर कहे गये भवोसे असंख्यातगुणित हैं। जो असंख्यात क्रोधकपायसम्बन्धी उपयोग-वारवाले भव हैं, वे भव ऊपर बतलाए गये मानकषायसम्बन्धी भवोसे असंख्यातगुणित हैं । जो क्रोधकषायसम्बन्धी संख्यात उपयोग-वारवाले भव है, वे भव क्रोधके असंख्यात उपयोग-वारवाले भवोसे असंख्यातगुणित हैं । जो मानकषायसम्बन्धी संख्यात उपयोगवाले भव हैं, वे भव क्रोधके संख्यात उपयोगवाले भवोसे विशेष अधिक हैं । जो मायाकपायसम्बन्धी संख्यात उपयोगवाले भव हैं, वे भव मानके संख्यात उपयोगवाले भवोसे विशेप अधिक है। जो लोभकपायसम्बन्धी संख्यात उपयोगवाले भव हैं, वे भव मायाके संख्यात उपयोगवाले भवोसे विशेप अधिक है ॥१५५-१६३॥
७३