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कसा पाहुड सुन्त
[ ४ अनुभागविभक्ति
१७८. निरयगईए जहण्णयमणुभारासंतकम्पं । १७९. सच्चमंदाणुभागं सम्मत्तं । सम्मामिच्छत्तस्स जहण्णाणुभागो अनंतगुणो । १८०. अनंताणुरंधिमाणस्स जहण्णाणुभागो अर्णतगुणो । १८१. कोधस्स जहण्णाणुभागो विसेसाहिओ । १८२. मायाए जहण्णाणुभागो विसेसाहिओ । १८३. लोभस्स जहण्णाणुभागो विसेसाहिओ । १८४. सेसाणि जधा सम्मादिट्ठीए बंधे तथा दव्वाणि ।
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सत्कर्म अनन्तगुणा है । इस प्रकार ओघकी अपेक्षा जवन्य अनुभागसम्बन्धी अल्पबहुत्वदंडक समाप्त हुआ ।। १५१-१७७॥
अब आदेशकी अपेक्षा जघन्य अनुभागसम्बन्धी अल्पबहुत्व कहनेके लिए उत्तर सूत्र- प्रबन्ध कहते है
चूर्णिसू० - नरकगतिमें जघन्य अनुभागसत्कर्म इस प्रकार है - सम्यक्त्वप्रकृति सर्व - मन्द अनुभागवाली होती है । सम्यक्त्वप्रकृति के सर्व- मन्द अनुभाग से सम्यग्मिथ्यात्वका जघन्य अनुभागसत्कर्म अनन्तगुणा होता है । सम्यग्मिथ्यात्व के जघन्य अनुभागसे अनन्तानुबन्धी मानका जघन्य अनुभागसत्कर्म अनन्तगुणा होता है । अनन्तानुबन्धी मानके जघन्य अनुभाग से अनन्तानुबन्धी क्रोधका जघन्य अनुभागसत्कर्म विशेष अधिक होता है । अनन्तानुबन्धी क्रोधके जघन्य अनुभागसे अनन्तानुवन्धी मायाका जघन्य अनुभागसत्कर्म विशेष अधिक होता है | अनन्तानुबन्धी मायाके जघन्य अनुभागसे अनन्तानुबन्धी लोभका जघन्य अनुभागसत्कर्म विशेष अधिक होता है । शेप प्रकृतियोंके अल्पबहुत्वपद जिस प्रकार सम्यग्दृष्टि के अनुभागबन्धमें कहे हैं, उस प्रकार जानना चाहिए ।। १७८-१८४॥
विशेषार्थ - इस समर्पण - सूत्रसे नरकगति में जिस शेष अल्पबहुत्वके जान लेने की सूचना की गई है, वह इस प्रकार है - अनन्तानुबन्धी लोभके जघन्य अनुभागसे हास्यप्रवृतिका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इससे रतिप्रकृतिका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इससे पुरुषवेदका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इससे स्त्रीवेदका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है | इससे जुगुप्साप्रकृतिका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इससे भयप्रकृतिका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इससे शोकप्रकृतिका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इससे अरतिप्रकृतिका जघन्य अनुभाग असंख्यातगुणा है । इससे नपुंसक वेदका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इससे अप्रत्याख्यानावरण मानका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है । इससे अप्रत्याख्यानावरण क्रोधका जघन्य अनुभाग विशेष अधिक है। इससे अप्रत्याख्यानावरण मायाका जवन्य अनुभाग विशेष अधिक है । इससे अप्रत्याख्यानावरण लोभका जघन्य अनुerrera faशेष अधिक है । इससे प्रत्याख्यानावरण मानका जघन्य अनुभाग अनन्तगुणा है | इससे प्रत्याख्यानावरण क्रोधका जघन्य अनुभाग विशेष अधिक है। इससे प्रत्याख्यानावरण मायाका जघन्य अनुभाग विशेष अधिक है । इससे प्रत्याख्यानावरण कोभका जघन्य अनुभाग