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गा० ५८] प्रदेशसंक्रम-भुजाकार-अल्पवहुत्व-निरूपण
४४३ ५०१. सम्मत्त-सम्मामिच्छताणं सव्वत्थोवा अवतन्त्रसंकामया' । ५०२. भुजगारसंकामया असंखेज्जगुणा । ५०३. अप्पयरसंकामया असंखेज्जगुणा।
५०४. सोलसकसाय-भय-दुगुंछाणं सव्वत्थोवा अवत्तव्यसंकामयाँ । ५०५. अवट्टिदसंकामया अणंतगुणा । ५०६. अप्पयरसंकामया असंखेज्जगुणा ।५०७. भुजगारसंकामया संखेज्जगुणा ।
५०८. इत्थिवेद-हस्स-रदीणं सव्वत्थोवा अवत्तव्यसंकामया । ५०९, भुजगारसंकायया अणंतगुणा' । ५१०. अप्पयरसंकामया संखेज्जगुणा।
___५११. पुरिसवेदस्स सव्वत्थोवा अवत्तव्यसंझामया । ५१२. अवहिदसंकामया - चूर्णिसू०-सम्यक्त्वप्रकृति और सम्यग्मिथ्यात्वके अवक्तव्यसंक्रामक सवसे कम होते हैं। अवक्तव्यसंक्रामकोसे भुजाकारसंक्रामक असंख्यातगुणित होते है । भुजाकारसंक्रामकोसे अल्पतरसंक्रामक असंख्यातगुणित होते है ॥५०१-५०३॥
चूर्णिसू०-सोलह कषाय, भय और जुगुप्साके अवक्तव्यसंक्रामक सबसे कम होते हैं। अवक्तव्यसंक्रामकोसे अवस्थितसंक्रामक अनन्तगुणित होते हैं। अवस्थितसंक्रामकोसे अल्पतरसंक्रामक असंख्यातगुणित होते हैं। अल्पतरसंक्रामकोसे भुजाकारसंक्रामक संख्यातगुणित होते है ॥५०४-५०७॥
चूर्णिसू०-स्त्रीवेद, हास्य और रतिके अवक्तव्यसंक्रामक सबसे कम हैं । अवक्तव्यसंक्रामकोसे भुजाकारसंक्रामक अनन्तगुणित हैं। भुजाकारसंक्रामकोसे अल्पतरसंक्रामक संख्यातगुणित होते है ।।५०८-५१०॥
चूर्णिस०-पुरुषवेदके अवक्तव्यसंक्रामक सबसे कम है। अवक्तव्यसंक्रामकोसे
१ कुदो, एयसमयसचयावलबणादो । जयध० २ कुदो, अतोमुहुत्तसचिदत्तादो । जयध०
३ कुदो; सम्मामिच्छत्तस्स उन्बेल्लमाणमिच्छाइट्ठीहि सह छावट्ठिसागरोवमकालभतरसचिदवेदयसम्माइट्ठिरासिस्स सम्मत्तस्स वि पलिदोवमासखेजभागमेत्तुबेल्लणकालभतरसकलिदरासिस्स गणहादो ।
जयध० ४ कुदो; अणताणुबधीणं विसजोयणापुव्वसजोगे वट्टमाणाणमेयसमयसचिद पलिदोवमस्स असखेनदिभागमेत्तजीवाण सेमाण च सव्वोवसामणापडिवादपढमसमए पयमाणसखेजोवसामयजीवाण गहणादो।
जयध ५ कुदो, सखेजसमयसचिदेइ दियरासिस्स पहाणीभावेणेत्य विवक्खियत्तादो । जयध० ६ कि कारण, पलिदोवमासखेजभागमेत्तप्पयरकालसचयावल बणादो । जयध० ७ कुदो, धुवब वीणमप्पयरकालादो भुजगारकालत्स सखेजगुणत्तोवएसादो । जयव० ८ सखेजोषसामयजीवविसयत्तण पयदावत्तवसकामयाण थोवभावसिद्धीए अविरोहादो। जयध० ९ कुदो, अतोमुहुत्तमेत्तसगकालसचिदेइदियरासिस्स गहणादो । जयध० १० कुदो, सगवधकालादो सखेजगुणपडिवक्खवधगद्धाए सचिदरासिस्स गहणादो। जयध०