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गा० ५८]
प्रदेशसंक्रम-स्थान-अल्पबहुत्व-निरूपण असंखेज्जगुणाणि । ७००. अणंताणुवंधिमाणे पदेससंकमट्ठाणाणि असंखेन्जगुणाणि । ७०१. कोहे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । ७०२. मायाए पदेस संकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । ७०३. लोहे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ।
७०४. एवं तिरिक्खगइ-देवगईसु वि । ७०५. मणुसगई ओघभंगो।। प्रकृतिसे सन्यग्मिथ्यात्वमे प्रदेशसंक्रमस्थान असंख्यातगुणित है। सम्यग्मिथ्यात्वसे अनन्तानुबन्धीमानमें प्रदेशसंक्रमस्थान असंख्यातगुणित है । अनन्तानुबन्धीमानसे अनन्तानुबन्धीक्रोधमे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक है। अनन्तानुबन्धीक्रोधसे अनन्तानुबन्धीमायामे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेप अधिक है। अनन्तानुबन्धीमायासे अनन्तानुबन्धीलोभमे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ॥६९४-७०३॥
चूर्णिम् ०-इसीप्रकार तिर्यग्गति और देवगतिमे भी प्रदेशसंक्रमस्थानोका अल्पवहुत्व जानना चाहिए । मनुष्यगतिसम्बन्धी प्रदेशसंक्रमस्थानोका अल्पबहुत्व ओषके समान होता है ॥७०४-७०५॥
विशेषार्थ-यद्यपि चूर्णिकारने देवगतिमे भी प्रदेशसंक्रमस्थानोका अल्पबहुत्व नरकगतिके अल्पबहुत्वके समान सामान्यसे कह दिया है तथापि देवोके अल्पबहुत्वमे थोड़ीसी विशेषता है । वह यह कि अनुदिशसे आदि लेकर सर्वार्थसिद्धि तकके देवोके सम्यक्त्वप्रकृतिसम्बन्धी प्रदेशसंक्रमस्थान नहीं होते है । तथा उनमें सम्यग्मिथ्यात्वके प्रदेशसंक्रमस्थान सबसे कम होते हैं। सम्यग्मिथ्यात्वसे मिथ्यात्वमे प्रदेशसंक्रमस्थान असंख्यातगुणित होते है । मिथ्यात्वसे अप्रत्याख्यानमानमें प्रदेशसंक्रमस्थान असंख्यातगुणित होते है। अप्रत्याख्यानमानसे अप्रत्याख्यानक्रोधमे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक होते है। अप्रत्याख्यानक्रोधसे अप्रत्याख्यानमायामे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक होते है। अप्रत्याख्यानमायासे अप्रत्याख्यानलोभमे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक होते है। अप्रत्याख्यानलोमसे प्रत्याख्यानमानमे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक होते हैं । प्रत्याख्यानमानसे प्रत्याख्यानक्रोधमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक होते है । प्रत्याख्यानक्रोधसे प्रत्याख्यानमापानें--पदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक होते हैं। प्रत्याख्यानमायासे प्रत्याख्यानलोभमे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेप आधार प्रत्याख्यानलोभसे स्त्रीवेदमे प्रदेशसंक्रमस्थान असंख्यातगुणित् होते है। स्त्रीवेदसे नपंसकवेदमें प्रदेशसंक्रमस्थान संख्यातगुणित होते है। नपुंसकवेदसे हास्यमे प्रदेशसंक्रमस्थान असंख्यातगुणित होते है । हास्यसे रतिमे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिके होते है। रतिसे शोको प्रदेशसंक्रमस्थान विशेप अधिक होते है । शोकसे अरतिमे प्रदेशसंसस्थान विशेष अधिक होते हैं । अरतिसे जुगुप्सामें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेप अधिक होते है। जुगुप्सासे भयमे प्रदेशसंक्रमस्थान विशेप अधिक होते हैं । भयसे पुरुषवेदमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक
१ कुदो, विसजोयणाचरिमफालीए सव्वसकमेण समुप्पण्णाणतसकमट्ठाणाण दवमाहप्पेण पुबिल्लसकमट्ठाणेहितो असखेज्जगुणत्तदसणादो । जयध० ।