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कसाय पाहुड सुत्त [६ वेदक-अर्थाधिकार १७७. तेवीसाए पयडीणं पवेसगो केवचिरं कालादो होदि १ १७८. जहण्णुकस्सेण अंतोमुहुत्तं । १७९. चउवीसाए पयडीणं पवेसगो केवचिरं कालादो होदि ? १८०. जहण्णेण अंतोमुहुत्तं । १८१. उक्कस्सेण वे छावद्विसागरोवमाणि देसूणाणि ।
१८२. छब्बीसाए पयडीणं पवेसगो केवचिरं कालादो होदि ? १८३. तिण्णि भंगा । १८४. तत्थ जो सो सादिओ सपज्जवसिदो तस्स जहण्णेण एयसमओ । १८५. स्थान उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार पच्चीस प्रकृतियोके प्रवेशका जघन्य काल भी एक समयमात्र ही सिद्ध होता है। बाईस प्रकृतियोके उत्कृष्ट प्रवेश कालकी प्ररूपणा इस प्रकार' है-क्षायिकसम्यक्त्वको प्राप्त करनेवाला जीव सम्यग्मिथ्यात्वका क्षपण करके जब तक सम्यक्त्वप्रकृतिका क्षय करता है, तब तक वाईस प्रकृतियोका अन्तर्मुहूत -प्रमाण उत्कृष्ट प्रवेशकाल पाया जाता है । इसी प्रकार अनन्तानुबन्धी कपायका विसंयोजन नहीं करनेवाले उपशमसम्यग्दृष्टिका अन्तर्मुहूर्त-प्रमाण सर्वकाल पच्चीस प्रकृतियोके प्रवेशका उत्कृष्ट काल जानना चाहिए।
शंका-तेईस प्रकृतियोके प्रवेश करनेवाले जीवका कितना काल है ? ॥१७७॥
समाधान-जघन्य और उत्कृष्टकाल अन्तर्मुहूर्त है । क्योकि, सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृतिक क्षपण करनेका अन्तर्मुहूर्तप्रमाण सर्वकाल ही तेईस प्रकृतियोके प्रवेशका काल है ॥ १७८॥
शंका-चौबीस प्रकृतियोके प्रवेश करनेवाले जीवका कितना काल है १ ।।१७९॥
समाधान-जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्टकाल देशोन दो वार छयासठ सागरोपम है ॥१८०-१८१॥
विशेषार्थ-चौवीस प्रकृतियोके जघन्य प्रवेश कालकी प्ररूपणा इस प्रकार है-अट्ठाईस प्रकृतियोकी सत्तावाला वेदकसम्यग्दृष्टि जीव अनन्तानुवन्धी-चतुष्कका विसंयोजन करके चौवीस प्रकृतियोंका प्रवेश करनेवाला वना और सर्वजघन्य अन्तर्मुहूर्त के पश्चात् ही मिथ्यात्वको प्राप्त होकर अट्ठाईस प्रकृतियोका प्रवेश करनेवाला हो गया। इस प्रकार चौवीस प्रकृतियोका अन्तर्मुहूर्तप्रमाण जघन्य प्रवेश-काल सिद्ध हो जाता है । अब इसीके उत्कृष्ट प्रवेशकालकी प्ररूपणा करते हैं कोई एक मिथ्यादृष्टि जीव उपशमसम्यक्त्वको ग्रहण करके उपशमसम्यक्त्वके कालके भीतर ही चौवीस प्रकृतियोकी सत्तावाला हो गया और वेदकसम्यक्त्वको प्राप्त करनेके दूसरे समयसे लेकर चौबीस-प्रकृतियोका प्रवेशक बनकर दो वार छयासठ सागरोपम कालतक देव और मनुष्यगतिमें परिभ्रमण करके अन्तमें दर्शनमोहनीयके क्षपणके लिए अभ्युद्यत होनेपर मिथ्यात्वका क्षपण कर तेईस प्रकृतियोका प्रवेश करनेवाला हुआ । इस प्रकार एक समय अधिक सस्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्वप्रकृतिके क्षपण कालसे कम दो बार छयासठ सागरोपम चौवीस प्रकृतियोंका उत्कृष्ट प्रवेशकाल जानना चाहिए।
शंका-छन्वीस प्रकृतियोका प्रवेश करनेवाले जीवका कितना काल है ? ॥१८२।।
समाधान-इस विपयमे तीन भंग हैं-अनादि-अनन्त, अनादि-सान्त और सादिसान्त । इनमें जो तीसरा सादि-सान्त भंग है, उसकी अपेक्षा छच्चीस प्रकृतियोंके प्रवेशका