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कसाय पाहुड सुत्त [ ६ वेदक-अर्थाधिकार ताओ थोवाओ । ५१९. उदिण्णाओ विसेसाहियाओ । ५२०.संतकम्मं विसेसाहियं ।
५२१. सम्मामिच्छत्तस्स जाओ द्विदीओ उदीरिज्जति ताओ थोवाओ। ५२२. उदिण्णाओ द्विदीओ विसेसाहियाओ। ५२३. संकामिज्जति द्विदीओ विसेसा
चूर्णिस०-सम्यक्त्वप्रकृतिकी संक्रमण और उदीरणाको प्राप्त होनेवाली स्थितियोसे उसीकी उदयको प्राप्त होनेवाली स्थितियाँ कुछ विशेष अधिक हैं ॥५१९।।
विशेषार्थ-यहाँ एक स्थितिसे अधिक विशेष जानना चाहिए ।
चूर्णिस०-सम्यक्त्वप्रकृतिकी उदयको प्राप्त होनेवाली स्थितियोंसे उसीका सत्कर्म विशेष अधिक है ॥५२०॥
विशेपार्थ-यह विशेषता सम्पूर्ण आवलीमात्रसे अधिक है। . चूर्णिसू०-सम्यग्मिथ्यात्वकी जितनी स्थितियाँ उदीरणाको प्राप्त होती हैं, वे वक्ष्यमाण पदोकी अपेक्षा सवसे कम हैं ॥५२१॥
विशेषार्थ-क्योकि, उनका प्रमाण दो अन्तर्मुहूर्त और एक उदयावलीसे कम सत्तर कोड़ाकोड़ी सागरोपम है।
चूर्णिसू०-सम्यग्मिथ्यात्वकी उदीरणाको प्राप्त होनेवाली स्थितियोसे उसीकी उदयको प्राप्त होनेवाली स्थितियाँ कुछ विशेष अधिक हैं ॥५२२॥
विशेषार्थ-यह विशेषता एक स्थितिमात्र जानना चाहिए ।
चूर्णिसू०-सम्यग्मिथ्यात्वकी उदयको प्राप्त होनेवाली स्थितियोसे उसीकी संक्रमणको प्राप्त होनेवाली स्थितियाँ कुछ विशेष अधिक है ।। ५२३॥
विशेपार्थ-यहाँ विशेष अधिकताका प्रमाण एक अन्तर्मुहूर्तमात्र है । wwwwwwwwwwwwwww
१ मिच्छत्तस्स उक्कस्सट्ठिदिं वधिय अतोमुहुत्तपडिभागेण वेदगसम्मत्त पडिवण्णे सम्मत्तस्स उक्कस्सट्टिदिसतकम्ममतोमुहुत्त णसत्तरिसागरोवममेत्त होइ । पुणो त सतकम्म सम्माइटिठविदियसमए उदयावलियवाहिरादो ओकड्डियूण वेदयमाणस्स उक्कस्सट्ठिदिउदीरणा उक्कस्सट्ठिदिसंकमो च होदि । तेण कारणेणतोमुहुत्त णसत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ आवलियूणाओ सम्मन्नस्स सकामिजमाणोदीरिजमाणट्टिदीओ होति त्ति थोवाओ जादाओ । जयध०
___२ केत्तियमेत्तो विसेसो ? एगठिदिमेत्तो । किं कारण, तक्कालवेदिनमाणुदयट्ठिदीए वि एत्थ तम्भावदसणादो। जयध०
३ केत्तियमेत्तो विसेसो १ सपुण्णावलियमेत्तो । किं कारण, सम्माइपिढमसमए गलिदेगठ्ठिदीए सह समयू णुदयावलियाए एत्थ पवेसुवलभादो । जयघ०
४ किंपमाणाओ ताओ ? दोहि अतोमुहुत्तेहिं उदयावलियाए च ऊणसत्तरिसागरोवमकोडाकोटिपमाणाओ। त कथ ? मिच्छत्तस्स उक्कसट्ठिदिं वधियूणतोमुहुत्तपडिभग्गो सव्वलहु सम्मत्त घेत्तण सम्मामिच्छत्तस्स उक्कस्सटिदिसंतकम्ममुप्पाइय पुणो सव्वजहण्णेणतोमुहुत्तण सम्मामिच्छत्तमुवणमिय त सतकम्ममुदयावलियबाहिरमुदीरेदि त्ति एदेण कारणेणाणतरणिद्दिठ्ठपमाणाओ होदूण थोवाओ नादाओ। जयध°
५ केत्तियमेत्तो विसेसो ? एगठिदिमेचो । कुदो, तालवेदिज्जमाणुदयहिदीए पि एत्थतन्भूदत्तादो । जयध