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गा० ५६]
सत्त्वस्थानों में संक्रमस्थान-निरूपण
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उसके सत्ताईस प्रकृतियोका संक्रम होता है १ । सम्यक्त्वप्रकृतिकी उद्वेलना करनेवाले मिथ्यादृष्टि या सम्यग्दृष्टिके सम्यक्त्वप्रकृतिकी एक समय कम आवलीप्रमाण गोपुच्छा शेष रह जानेपर अट्ठाईसके सत्त्वके साथ छब्बीस प्रकृतियोका संक्रम होता है । अथवा छब्बीस-प्रकृतियोकी सत्तावाले जीवके प्रथमसम्यक्त्वके उत्पन्न करनेपर अट्ठाईस प्रकृतियोके सत्त्वके साथ छब्बीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है २ । जिसने अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना नहीं की है ऐसे उपशमसम्यग्दृष्टि जीवके सासादनगुणस्थानको प्राप्त होनेपर अथवा अट्ठाईसकी सत्तावाले किसी दूसरे जीवके मिश्रगुणस्थानको प्राप्त होनेपर अट्ठाईस प्रकृतियोके सत्त्वके साथ पच्चीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान उत्पन्न होता है ३ । अनन्तानुबन्धीका विसंयोजन करके उसके संयोजन करनेवाले मिथ्यादृष्टिके प्रथमावलीमे अट्ठाईसके सत्त्वस्थानके साथ तेईस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है । अथवा अमन्तानुबन्धीकी विसंयोजना करते हुए चरमफालीका संक्रमण कर एक समय कम आवलीमात्र गोपुच्छाके शेष रहनेपर उसी सत्त्वस्थानके साथ वही संक्रमस्थान पाया जाता है ४ । अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजनापूर्वक सासादनगुणस्थानको प्राप्त होनेवाले जीवके एक आवलीकाल तक अट्ठाईसके सत्त्वके साथ इक्कीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है ५ । इस प्रकार ये पॉच संक्रमस्थान अट्ठाईस प्रकृतियोकी सत्तावाले जीवके पाये जाते है। अब सत्ताईस प्रकृतियोके सत्त्वस्थानके साथ संभव संक्रमस्थानोका अन्वेषण करते हैं-अट्ठाईसकी सत्तावाले मिथ्यादृष्टिके सम्यक्त्वप्रकृतिकी उद्वेलना करनेपर सत्ताईसका सत्त्व होकर छब्बीसका संक्रम होता है १ । पुनः उसीके द्वारा सम्यग्मिथ्यात्वकी उद्वेलना करते हुए समयोन आवलीमात्र गोपुच्छाके अवशेप रहनेपर सत्ताईसके सत्त्वके साथ पच्चीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है २ । इस प्रकार सत्ताईसके सत्त्वस्थानके साथ छब्बीस और पच्चीस-प्रकृतिक दो संक्रमस्थान पाये जाते है। अब छब्बीसप्रकृतिक सत्त्वस्थानके साथ संभव संक्रमस्थानकी गवेपणा करते है- अनादिमिथ्यादृष्टि या छब्बीसकी सत्तावाले सादिमिथ्यादृष्टिके छब्बीस-प्रकृतिक सत्त्वस्थानके साथ पच्चीस-प्रकृतिक एक संक्रमस्थान पाया जाता है । इसके अन्य संक्रमस्थानोका पाया जाना संभव नहीं है। अब चौवीसके सत्त्वस्थानके साथ संभव संक्रमस्थानोका अनुमार्गण करते है-अनन्तानुवन्धीकी विसंयोजनासे परिणत सम्यग्दृष्टि के चौबीसके सत्त्वस्थानके साथ तेईसका संक्रमस्थान पाया जाता है १ । पुनः उसी जीवके उपशमश्रेणीपर चढ़कर अन्तरकरण करनेके अनन्तर आनुपूर्वीसंक्रमण करनेपर बाईसका संक्रमस्थान पाया जाता है २ । पुनः उसी जीवके द्वारा नपुंसकवेदका उपशम कर देनेपर इक्कीसका संक्रमस्थान होता है ३ । पुनः स्त्रीवेदका उपशम कर देनेपर बीसका संक्रमस्थान होता है । उसी जीवके छह नोकषायोका उपशम करनेपर चौदहका संक्रमस्थान पाया जाता है ५ । पुनः पुरुपवेदका उपशम करनेपर तेरहका संक्रमस्थान पाया जाता है ६ । अनन्तर दोनो मध्यम क्रोधोके उपशम होनेपर ग्यारहका संक्रमस्थान होता है ७ । संज्वलनक्रोधके उपशम होनेपर दशका संक्रमस्थान होता है ८ । दोनो मध्यम मानोंके उपशम
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