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पदेससंकमाहियारो १. पदेससंकमो । २. तं जहा । ३. मूलपयडिपदेससंकमो णत्थि' । ४. उत्तरपयडिपदेससंकमो' । ५. अट्ठपदं । ६. जं पदेसग्गमण्णपयडिं णिजदे जत्तो पयडीदो तं पदेसग्गं णिज्जदि तिस्से पयडीए सो पदेससंकमो । ७. जहा मिच्छत्तस्स पदेसग्गं सम्मत्ते संछुहदि तं पदेसग्गं मिच्छत्तस्त पदेससंकमो । ८. एवं सव्वत्थ । ९. एदेण अट्ठपदेण तत्थ पंचविहो संकमो। १०. तं जहा । ११. उबेल्लणसंकमो विज्झादसंकमो अधापवत्तसंकमो गुणसंकमो सव्वसंकमो च ।
प्रदेश-संक्रमाधिकार चर्णिम् ०-अब प्रदेशसंक्रमण कहते हैं। वह इस प्रकार है-मूलप्रकृतियोके प्रदेशोका संक्रमण नही होता है। उत्तरप्रकृतियोके प्रदेशोका संक्रमण होता है। उत्तरप्रकृतियोंके प्रदेशसंक्रमणके विषयमे यह अर्थपद है-जो प्रदेशाग्र जिस प्रकृतिसे अन्य प्रकृतिको ले जाया जाता है, वह उस प्रकृतिका प्रदेश-संक्रमण कहलाता है। जैसे-मिथ्यात्वका प्रदेशाग्र सम्यक्त्वप्रकृतिमे संक्रान्त किया जाता है, वह सम्यक्त्वप्रकृतिके रूपसे परिणत प्रदेशाग्र मिथ्यात्वका प्रदेश-संक्रमण है। इसी प्रकार सर्व प्रकृतियोका प्रदेश-संक्रमण जानना चाहिए । इस अर्थपदकी अपेक्षा वह प्रदेश-संक्रमण पॉच प्रकारका है। वे पॉच भेद ये है-उद्वेलनसंक्रमण, विध्यातसंक्रमण, अधःप्रवृत्तसंक्रमण, गुणसंक्रमण और सर्वसंक्रमण ॥१-११॥
१ कुदो, सहावदो चेव मूलपयडीणमण्णोण्णविसयसकतीए असभवादो । जयध० २ कुदो, तासि समयाविरोहेण परोप्परविसयसकमस्स पडिसेहाभावादो । जयध० ३ किमट्ठपद णाम ? जत्तो विवक्खियस्स पयत्थस्स परिच्छित्ती तमट्ठपदमिदि भण्णदे । जयध० ४ जं दलियमनपगई णिजइ सो संकमो पएसस्स ।
उचलणो विज्झाओ अहापवत्तो गुणो सव्वो ॥ ६० ॥ कम्मप० पदेसस०
५ एदेण परपयडिसक तिल्क्खणो चेव पदेससकमो, ओकड्डुक्कड्डणालक्खणो त्ति जाणाविद, टिठदिअणुभागाण च ओकडडुक्कड्डणाहि पदेसग्गस्स अण्णभावावत्तीए अणुवलभादो । जयध०
६ तत्थुव्वेल्लणसकमो णाम करणपरिणामेहि विणा रज्जुवेल्लणकमेण कम्मपदेसाण परपयडिसरूवेण सछोहणा ।xxx सपहि विज्झादसकमस्स परूवणा कीरदे । त जहा-वेदगसम्मत्तकालभतरे सव्वत्थेव मिच्छत्त सम्मामिच्छत्ताण विज्झादसकमो होइ जाव दसणमोहक्खवयअधापवत्तकरणचरिमसमयो त्ति । उवसमसम्माइटिठम्मि गुणसंकमकालादो उवरि सव्वत्थ विज्झादसकमो होइ ।x x x बधपयडीण सगवधसभवविसए जो पदेससकमो सो अधापबत्तसकमो त्ति भण्णदे ।xxx समय पडि असखेजगुणाए सेढीए जो पदेससंकमो सो गुणसकमो त्ति भण्णदे Ixxx सव्वस्सेव पदेसग्गस्स जो सक्मो सो सव्वसकमो त्ति भण्णदे । सो कत्थ होइ ? उज्वेल्लणाए विसजोयणाए खवणाए च चरिमटिठदिखायचरिमफालिसंकमी होइ । जयध०