________________
गा० ५८] अनुभागसंक्रम-भुजाकार-काल-निरूपण
३७५ ३०८. सम्माइट्ठी अण्णदरों' । ३०९. अवट्ठिदसंकामओ को होइ १ ३१०. अण्णदरो।
३११. एत्तो एयजीवेण कालो । ३१२. मिच्छत्तस्स भुजगारसंकामओ केवचिरं कालादो होइ ? ३१३. जहण्णेण एयसमओ । ३१४ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । ३१५. अप्पयरसंकामओ केवचिरं कालादो होइ ? ३१६. जहण्णुक्कस्सेण एयसमओं । ३१७. अवट्ठिदसंकामओ केवचिरं कालादो होइ ? ३१८. जहण्णेण एयसमओ । ३१९. उक्कस्सेण तेवद्विसागरोवमसदं सादिरेयं ।
शंका-इन्हीं दोनो कर्मों के अनुभागका अल्पतर और अवक्तव्य-संक्रामक कौन जीव है ? ॥३०७॥
समाधान-कोई एक सम्यग्दृष्टि जीव सम्यक्त्वप्रकृति और सम्यग्मिथ्यात्वके अल्पतर और अवक्तव्य अनुभागसंक्रमणको करता है ॥३०८॥
शंका-उक्त दोनो कर्मोंका अवस्थित अनुभाग-संक्रामक कौन जीव है ? ॥३०९॥
समाधान-कोई भी एक सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टि जीव उक्त दोनो कर्मोंका अवस्थित अनुभागसंक्रामक है ।।३१०।।
चूर्णिमू०-अब इससे आगे एक जीवकी अपेक्षा भुजाकारादि संक्रमणोंका काल कहते है ॥३११॥
शंका-मिथ्यात्वके भुजाकार-संक्रमणका कितना काल है ? ॥३१२॥ समाधान-जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्टकाल अन्तमुहूर्त है ।।३१३-३१४॥ शंका-मिथ्यात्वके अल्पतर-संक्रमणका कितना काल है ? ।।३१५।। समाधान-जघन्य और उत्कृष्टकाल एक समयमात्र है ।।३१६॥ शंका-मिथ्यात्वके अवस्थित-संक्रमणका कितना काल है ? ॥३१७।।
समाधान-जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्टकाल साधिक एक सौ तिरेसठ सागरोपम है ॥३१८-३१९॥
१ अणादियमिच्छाइट्ठी सादिछन्वीससतकम्मिओ वा सम्मत्तमुप्पाइय विदियसमए अवत्तव्वसकमसामिओ होइ । अप्पदरसकामओ दसणमोहक्खवओ, अण्णत्थ तदणुवलभादो । जयध०
२ कुदो, हेट्ठिमाणुभागसकमादो बधबुढिवसेणेयसमय भुजगारसकामओ होदूण विदियसमए अवद्विदसकमेण परिणदम्मि तदुवलभादो । जयध०
३ एदमणुभागहाण बधमाणो तत्तो अणतगुणवड्डीए वढिदो पुणो विदियसमये वि तत्तो अणतगुणवढीए परिणदो । एवमणतगुणवडीए ताव बधपरिणाम गदो जाव अतोमुहुत्तचरिमसमयो त्ति । एवमतोमुहुत्तभुजगारबधसभवादो भुजगारसकमुक्करसकालो वि अतोमुहुत्तपमाणो त्ति णत्थि सदेहो, बधावलियादीदकमेणेव सकमपजायपरिणामदसणादो । जयध०
___४ तं जहा-अणुभागखडयघादवसेणेयसमयमप्पयरसकामओ जादो । विदियसमये अवट्टिदपरिणाममुवगओ । लद्धो जहण्णुक्कस्सेणेयसमयमेची अप्पयरकालो । जयध०
५ त जहा-एगो मिच्छाइट्ठी उवसमसम्मत्त घेत्तूण परिणामपञ्चएण मिच्छत्त गटो । तत्थ मिच्छत्तत्स तप्पाओग्गमणुकस्साणुभाग बधिय अतोमुहुत्तमेत्तकाल तिरिक्ख-मणुसेसु अवट्ठिदसकामओ होदूण पुणो