________________
३९२
कसाय पाहुड सुत्त
[ ५ संक्रम-अर्थाधिकार
अनंत गुणवसिंकामया असंखेज्जगुणा' । ५१६. अवद्विदसं कामया संखेज्जगुणा' ।
५१७. सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं सव्वत्थोवा अनंतगुणहाणिसंकामया । ५१८. अवत्तव्वसंकामया असंखेज्जगुणा । ५१९. अवट्ठिदसंकामया असंखेज्जगुणा । ५२०. सेसाणं कम्माणं सव्वत्थोवा अवत्तव्यसंकामय । ५२१. अनंतभागहाणिसं कामया अनंतगुणा । ५२२. सेसाणं संकामया मिच्छत्तभंगो ।
एवं वड्डिको समत्तो .
५२३. एत्तो द्वाणाणि कायव्वाणि । ५२४. जहा संतकम्मट्ठाणाणि तहा संकमणाणि । ५२५. तहावि परूवणा कायव्वा । ५२६. उक्कस्सए अणुभागबंधट्ठाणे वृद्धिके संक्रामक असंख्यातगुणित है । अनन्तगुणवृद्धि • संक्रामकों से अवस्थित संक्रामक संख्यातगुणित है ।।५०३-५१६॥
चूर्णिम् ०– सम्यक्त्वप्रकृति और सम्यग्मिथ्यात्वकी अनन्तगुणहानिके संक्रामक सबसे कम हैं । अवक्तव्य संक्रामक असंख्यातगुणित है । अवस्थित संक्रामक असंख्यात - गुणित है । शेष कर्मों के अवक्तव्यसंक्रामक सबसे कम हैं । अवक्तव्य संक्रामको से अनन्तभागहानि संक्रामक अनन्तगुणित हैं । शेष संक्रामकोका अल्पवहुत्व मिथ्यात्वके समान जानना चाहिये ।।५१७ - ५२२।।
इस प्रकार वृद्धिसंक्रमण समाप्त हुआ ।
चूर्णिसू० [0- अब इससे आगे अनुभाग के संक्रमस्थानो की प्ररूपणा करना चाहिए । जिस प्रकार अनुभागविभक्तिमे अनुभाग के सत्कर्मस्थान कहे गये हैं, उसी प्रकार अनुभागसंक्रमस्थानोको जानना चाहिए । तथापि उनकी प्ररूपणा यहाँ करने योग्य है ।। ५२३-५२५ ।। विशेपार्थ-संक्रमस्थानोका प्ररूपण चार अनुयोगद्वारोसे किया गया है- समुत्कीर्तना, प्ररूपणा, प्रमाण और अल्पबहुत्व | समुत्कीर्तनाकी अपेक्षा मोहनीयकी सभी प्रकृतियोके
१ को गुणगारो ? अतोमुहुत्त | जयध
२ कुदो; अणत गुणवढि कालादो अवट्ठिदसकमकालस्स असखेज गुणत्तावलवणादो | जयध०
३ कुदो; दंसणमोहक्खवयजीवाण चैव तव्भावेण परिणामोवलभादो । जयध०
४ कुदोः पलिदोवमासखेजभागमेत्तजीवाण तव्भावेण परिणदाणमुवल भादो । जयध०
५ कुदो; तब्बदिरित्तासेससम्मत्त सम्मामिच्छत्तस तकम्मिय जीवाणमवट्ठिदसकामयभावेणावठाणदसणादो | एत्थ गुणगारपमाण आवलियाए असंखेज दिभागमेत्तो घेत्तव्वो । जयध०
६ कुदो; अणताणुत्रधीण विसंयोजणापुव्वसजोगे वट्टमाणपलिदोवमासखेजभागमेत्तजीवाण सेसक सायणोकसायाण पिसव्योव सामणापडिवादपदम समय महिटि ठदस खेजो वसामय जीवाणमवत्तव्वभावेण परिणदाणमुवलद्धीदो | जयध०
७ कुदो; सव्वजीवाणमसखेजभागपमाणत्तादो । जयध०
८ किमउमेसा ठाणपरूवणा आगया ? वड्ढीए पलविदछवड्ढिहाणीणमवतरवियप्पपदुप्पायणट्ठमागया ।×× तत्थापरूविदवधसमुप्पत्तिय- हदसमुप्पत्तिय-हदहदसमुप्पत्तियभेदाण पादेक्कमसखेजलोगमेत्तछट्ठासरुवाणमिह परूवणोवलभादो | जयघ