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कसाय पाहुड सुत्त [५ संक्रम-अर्थाधिकार जाता है २ । इस प्रकार इक्कीसके वन्धस्थानमे पञ्चीस और इक्कीस-प्रकृतिक दो संक्रमस्थान पाये जाते हैं । अब सत्तरह-प्रकृतिक वन्धस्थानमें संक्रमस्थानोकी मार्गणा करते है-सम्यग्मिध्यादृष्टि जीवके सत्तरह-प्रकृतिक बन्धस्थानके साथ अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना और
अविसंयोजनाकी अपेक्षा इक्कीस और पञ्चीस-प्रकृतिक दो संक्रमस्थान पाये जाते है २ । अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्तावाले असंयतसम्यग्दृष्टि जीवके सत्तरह-प्रकृतिक बन्धस्थानके साथ सत्ताईसप्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है ३ । उपशमसम्यक्त्वके ग्रहण करनेके प्रथम समयमें वर्तमान असंयतसम्यग्दृष्टिके सत्तरह-प्रकृतिक बन्धस्थानके साथ छब्बीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है ४ । उसीके अनन्तानुवन्धीकी विसंयोजना करने पर तेईस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है ५ । स्त्रीवेदका उपशमन कर देनेके अनन्तर मिथ्यात्वका क्षय करनेपर उसीके वाईस-प्रकृतिक संक्रमस्थान होता है ६ । और सम्यग्मिथ्यात्वका क्षय कर देनेपर उसीके इक्कीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान होता है। इस प्रकार सर्व मिलाकर सत्तरह-प्रकृतिक वन्धस्थानमे उपर्युक्त छह संक्रमस्थान होते हैं । अव तेरह-प्रकृतिक वन्धस्थानमे संक्रमस्थानोकी गवेपणा करते हैं-संयतासंयतके तेरह-प्रकृतिक बन्धस्थानके साथ सत्ताईस-प्रकृतिक संक्रमस्थान होता है १ । प्रथमोपशमसम्यक्त्वके साथ संयमासंयमके ग्रहण करनेके प्रथम समयमे वर्तमान उसी संयतासंयतके तेरहके वन्धके साथ छब्बीसका संक्रमस्थान पाया आता है २ । अनन्तानुवन्धीकी विसंयोजना करनेवाले संयतासंयतके तेईसका संक्रमस्थान पाया जाता है ३ । उसीके द्वारा मिथ्यात्वका क्षय किये जानेपर वाईसका संक्रमस्थान पाया जाता है ४ । सम्यग्मिथ्यात्वके क्षय करने पर उसीके इक्कीसका संक्रमस्थान होता है ५ । इस प्रकार तेरह-प्रकृतिक वन्धस्थानमे सत्ताईस, छब्बीस, तेईस, वाईस और इक्कीस-प्रकृतिक पांच संक्रमस्थान होते हैं। अव नौ-प्रकृतिक वन्धस्थानमे संक्रमस्थानोकी अनुमार्गणा करते है-प्रमत्त-अप्रमत्तसंयतके नौप्रकृतिक वन्धस्थानके साथ सत्ताईसका संक्रमस्थान होता है १ । उपशमसम्यक्त्वके साथ संयमको एक साथ प्राप्त होनेवाले अप्रमत्तसंयतके प्रथम समयमे नौ-प्रकृतिक बन्धस्थानके साथ छब्बीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है २ । अनन्तानुवन्धीकी विसंयोजना-परिणत प्रमत्त-अप्रमत्तसंयतके नौ-प्रकृतिक वन्धस्थानके साथ तेईस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है ३ । उसी बन्धस्थानके साथ मिथ्यात्वके क्षयकी अपेक्षा वाईस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है ४ । तथा सम्यग्मिथ्यात्वके क्षयकी अपेक्षा इक्कीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान पाया जाता है ५ । इस प्रकार नौ-प्रकृतिक बन्धस्थानोमे सत्ताईस, छब्बीस, तेईस, वाईस और इक्कीसप्रकृतिक पांच संक्रमस्थान होते हैं। अब पांच-प्रकृतिक वन्धस्थानमे संक्रमस्थानोका अन्वेपण करते हैं-चौवीस प्रकृतियोकी सत्तावाले अनिवृत्तिकरण-गुणस्थानवर्ती उपशामकके पांचप्रकृतिक वन्धस्थानके साथ तेईस-प्रकृतिक संक्रमस्थान होता है । वहीपर आनुपूर्वीसंक्रमके वासे वाईस-प्रकृतिक संक्रमस्थान होता है २ । नपुंसकवेदके उपशमन करनेपर इक्कीसपकृतिक संक्रमस्थान होता है ३ । स्त्रीवेदका उपशमन करनेपर वीस-प्रकृतिक संक्रमस्थान