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कसाय पाहुड सुन्त
[ ५ प्रदेशविभक्ति
२३०. दुर्गुछाए जहण्णपदेस संतकम्मं विसेसाहियं । २३१. भए जहण्णपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । २३२. लोभसंजलणे जहण्णपदेस संतकम्मं विसेसाहियं ।
२३३. रिगईए सव्वत्थोवं सम्पत्ते जहण्णपदेसतकम्मं । २३४ सम्मामिच्छत्ते जहण्णपदेस संत कम्ममसंखेज्जगुणं । २३५. अनंताणुर्वधिमाणे जहण्णपदेस संतकम्ममसंखेज्जगुणं । २३६. कोहे जहण्णपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । २३७. मायाए जहण्णपदेस संतक विसेसाहियं । २३८, लोभे जहण्णपदे ससंतकम्मं विसेसाहियं ।
२३९. मिच्छते जहण्ण पदे ससंत कम्पमसंखेज्जगुणं । २४०. अपच्चक्खाणमाणे जण दे ससंतकम्पमसंखेज्जगुणं । २४१. कोहे जहण्णपदेस संतकम्मं विसेसाहियं । २४२. मायाए जहण्णपदेस संतकम्मं विसेसाहियं । २४३. लोभे जहण्णपदेस संतकम्मं विसेसाहियं ।
२४४. पच्चक्खाणमाणे जहण्णवदेस संतकम्मं विसेसाहियं । २४५. कोहे जहण्णप्रकृतिके जघन्य प्रदेश सत्कर्म से जुगुप्साप्रकृतिमे जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । जुगुप्साप्रकृति के जघन्य प्रदेशसत्कर्म से भयप्रकृतिमे जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । भयप्रकृति के जघन्य प्रदेशसत्कर्म से संज्वलनलोभमे जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है ।। २२५-२३२।।
चूर्णिम् ० - नरकगतिमे सम्यक्त्वप्रकृतिमे जघन्य प्रदेश सत्कर्म वक्ष्यमाण पदोकी अपेक्षा सबसे कम है । सम्यक्त्वप्रकृति के जघन्य प्रदेशसत्कर्म से सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृतिमे जघन्य प्रदेश - सत्कर्म असंख्यातगुणा है । सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृति के जघन्य प्रदेशसत्कर्मसे अनन्तानुबन्धी मानकपायमे जघन्य प्रदेशसत्कर्म असंख्यातगुणा है। अनन्तानुबन्धी मानकपायके जघन्य प्रदेशसत्कर्मसे अनन्तानुवन्धी क्रोधकपायमे जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक हैं । अनन्तानुबन्ध क्रोधकपाय के जघन्य प्रदेशसत्कर्म से अनन्तानुवन्धी मायाकपायमे जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेप अधिक है । अनन्तानुवन्धी मायाकपायके जवन्य प्रदेशसत्कर्मसे अनन्तानुवन्धी लोभकपायमें जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है || २३३-२३८।।
चूर्णिमू० - अनन्तानुवन्धी लोभकपायके जघन्य प्रदेश सत्कर्म से मिध्यात्वन कृतिमं जघन्य प्रदेशसत्कर्म असंख्यातगुणा है । मिथ्यात्वप्रकृतिके जघन्य प्रदेशसत्कर्म से अप्रत्याख्यानावरणमानकपायमे जघन्य प्रदेशसत्कर्म असंख्यातगुणा है । अप्रत्याख्यानावरण- मानकपायके जघन्य प्रदेशसत्कर्मसे अप्रत्याख्यानावरण- क्रोधकपायमे जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है। अप्रत्याख्यानावरण को वकपायके जघन्य प्रदेशसत्कर्मसे अप्रत्याख्यानावरणमायाकपायसे जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक हैं । अप्रत्याख्यानावरण मायाकपायके जघन्य प्रदेश अप्रत्या
स्यानावरण लोभकपाय जवन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है ॥२३९-२४३।। [० - अप्रत्याख्यानावरण लोभकपायके जघन्य प्रदेशसामने प्रत्याख्यानावरणमाकपाय जघन्य प्रदेशमत्कर्म विशेष अधिक है । प्रत्याख्यानावरणमानकपायके जघन्य
चूर्णिस्