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गा० ३८]
प्रतिग्रहस्थानों में संक्रमस्थान-निरूपण चत्तारि तिग चदुक्के तिणि तिगे एकगे च बोद्धव्वा ।
दो दुसु एगाए वा एगा एगाए बोद्धव्वा ॥३८॥ स्थानोंमें होता है। सात-प्रकृतिक स्थानका संक्रम चार और तीन-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानों में जानना चाहिए । छह-प्रकृतिक स्थानका संक्रम नियमसे दो-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थान में होता है । पाँच-प्रकृतिक स्थानका संक्रम तीन, दो और एक-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमें होता है ॥३७॥
विशेषाथ-इस गाथामे आठ, सात, छह और पांच-प्रकृतिक संक्रमस्थानोके प्रतिग्रहस्थानोका निर्देश किया गया है । उनका विवरण इस प्रकार है-चौबीस प्रकृतियोकी सत्तावाले उपशामकके दो प्रकारके मानका उपशम हो जानेपर एक मान, तीन माया, दो लोभ, सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्वप्रकृति, इन आठ प्रकृतियोका संज्वलनमाया, लोभ, सम्यग्मिथ्यात्व
और सम्यक्त्वप्रकृतिरूप चार-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमें संक्रमण होता है । इक्कीस प्रकृतियोकी सत्तावाले उपशामकके तीन प्रकारके क्रोधका उपशम हो जानेपर तीन मान, तीन माया, और दो लोभरूप आठ प्रकृतियोका तीन संज्वलनरूप तीन-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमे संक्रमण होता है। इक्कीस प्रकृतियोकी सत्तावाले उपशामकके मानसंज्वलनकी प्रथमस्थितिमे एक समय कम तीन आवली शेष रहनेपर तीन मान, तीन माया और दो लोभरूप आठ प्रकृतियोका माया और लोभरूप दो-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमे संक्रमण होता है। चौबीस प्रकृतियोकी सत्तावाले उपशामकके तीन प्रकारके मानका उपशम हो जानेपर तीन माया, दो लोभ, मिथ्यात्व और सम्यग्मिथ्यात्व इन सात प्रकृतियोका संज्वलन माया, लोभ, सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्वप्रकृतिरूप चार-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमे संक्रमण होता है । तथा इसी जीवके मायासंज्वलनकी प्रथमस्थितिमे एक समय कम तीन आवली शेष रहनेपर उक्त सात प्रकृतियोका संज्वलन लोभ, सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्वप्रकृतिरूप तीन प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमे संक्रमण होता है। इक्कीस प्रकृतियोकी सत्तावाले उपशामकके दो प्रकारके मानका उपशम हो जानेपर एक मान, तीन माया
और दो लोसरूप छह प्रकृतियोका संज्वलनमाया और लोभरूप दो प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमे संक्रमण होता है । चौवीस प्रकृतियोकी सत्तावाले उपशामकके दो मायाकषायोका उपशम हो जानेपर एक माया, दो लोभ, मिथ्यात्व और सम्यग्मिथ्यात्व इन पॉच प्रकृतियोका संज्वलनलोभ, सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्वप्रकृतिरूप तीन-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमे संक्रमण होता है । इक्कीस प्रकृतियोकी सत्तावाले उपशामकके तीनो मानकपायोके उपशम हो जानेपर तीन माया और दो लोभरूप पॉच प्रकृतियोका माया और लोभसंज्वलनरूप दो-प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमे संक्रमण होता है । तथा इसी जीवके मायासंज्वलनकी प्रथमस्थितिमे एक समय क्म तीन आवलीकाल शेप रहनेपर तीन माया और दो लोभरूप पॉच प्रकृतियोका एक लोभप्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमे संक्रमण होता है।
चार-प्रकृतिक स्थानका संक्रम तीन और चार-प्रकृतिक दो प्रतिग्रहस्थानों१ चत्तारि तिग चउक्के तिन्नि तिगे एक्कगे य बोद्धव्वा । दो दुसु एकाए वि य एका एकाइ बोद्धव्वा ॥२१॥
कम्मप० स०