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कसाय पाहुड सुन्त
[ ६ क्षीणाक्षीणाधिकार
६५. गुणिदकम्मंसिओ संजमा संजम संजमगुणसेढीओ काऊण ताधे गदो सम्मामिच्छत्तं जाधे गुण से डिसीसयाणि परमसमयसम्मामिच्छाट्ठिस्स उदयमागदाणि ताथे तस्स पढमसमयसम्मामिच्छाट्ठिस्स उक्कस्सयमुदयादो झीणडिदियं ।
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६६. अनंताणुबंधीणमुक्कस्सयमोकड्डणादितिन्हं पि झीणडिदियं कस्स १ ६७. गुणिदकम्मंसिओ संजमा संजम -संजमगुणसेढीहि अविणट्ठाहि अनंताणुबंधी विसंजोए दुमाढतो, तेसिमपच्छिमट्ठि दिखंडयं संछुब्भमाणयं संक्रुद्ध तस्स उक्कस्सयमोकडणादितियहं पिझीणडिदियं । ६८. उक्कस्सयमुदयादो झीणडिदियं कस्स १६९. संजमासं जम-संजमगुणसेढीओ काऊण तत्थ मिच्छत्तं गदो जाधे गुणसेढिसीसयाणि परमसमयमिच्छाट्ठिस्स उदयमागयाणि, ताधे तस्स पढमसमयमिच्छाइट्ठिस्स उक्कस्यमुदयादो झीणडिदियं ।
७०. अहं कसायाण मुक्कस्सयमोकडणादितिगृहं पि झीणडिदियं कस्स १ ७१. गुणिदकम्मंसिओ कसायक्खवणाए अन्भुट्टिदो जाधे अट्टहं कसायाणम पच्छिमसमाधान- जो गुणितकर्माशिक जीव संयमासंयम और संयमगुणश्रेणीको करके उस समय सम्यग्मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ, जब कि प्रथमसमयवर्ती सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवके गुणश्रेणीशीर्पक उदयको प्राप्त हुए, उस समय उस प्रथमसमयवर्ती सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवके सम्यग्मिथ्यात्वका उदयसे उत्कृष्ट क्षीणस्थितिक प्रदेशाग्र होता है ॥ ६५ ॥
शंका- अनन्तानुवन्धी चारो कषायोका अपकर्पण आदि तीनोंकी अपेक्षा उत्कृष्ट क्षीणस्थितिक प्रदेशा किसके होता है ? ॥६६॥
समाधान- जिस गुणितकर्माशिक जीवने अविनष्ट संयमासंयम और संयमगुणश्रेणीके द्वारा अनन्तानुवन्धीकषायका विसंयोजन आरम्भ किया और उनके संक्रम्यमाण अन्तिम स्थितिकांडकको अप्रत्याख्यानादिकपायोंमे संप्रान्त किया, उस समय उस जीवके अनन्तानुवन्धीकपायका अपकर्पण आदि तीनोकी अपेक्षा उत्कृष्ट क्षीणस्थितिक प्रदेशाग्र होता है ॥ ६७॥
शंका-उदयकी अपेक्षा अनन्तानुबन्धीकपायका उत्कृष्ट क्षीणस्थितिक प्रदेशा किसके होता है || ६८॥
समाधान - जो संयमासंयम और संयमगुणश्रेणीको करके मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ । उस प्रथमसमयवर्ती मिथ्यादृष्टि के जिस समय दोनो गुणश्रेणीशीर्षक उदयको प्राप्त हुए, उस समय उस प्रथमसमयवर्ती मिध्यादृष्टि के उदयकी अपेक्षा अनन्तानुबन्धीकपाका उत्कृष्ट क्षीणस्थिति प्रदेशा होता है ||६९ ॥
शंका- आठो कपायोका अपकर्षणादि तीनों की अपेक्षा उत्कृष्ट श्रीणस्थिनिक प्रदेश किसके होता है ॥७०॥
समाधान- जो गुणितकर्माशिक जीव कपायोकी क्षपणाके लिए उयन हुआ,