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मूलप्रकृतिप्रदेशविभक्ति-अनुयोगद्वार निरूपण
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(१८) प्रदेशविभक्ति - स्पर्शन प्ररूपणा - इस अनुयोगद्वार में प्रवेशविभक्तिवाले जीवांके त्रिकाल - गोचर स्पृष्ट क्षेत्रका विचार किया गया है । जैसे - मोहनीयकर्मकी उत्कृष्टप्रदेशविभक्तिवाले जीवोने कितना क्षेत्र स्पृष्ट किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट किया है । अनुत्कृष्टप्रदेशविभक्तिवाले जीवोने कितना क्षेत्र स्पष्ट किया है ? सर्वलोक स्पष्ट किया है । इसी प्रकार जघन्य और अजघन्य प्रदेशविभक्तिवाले जीवोका स्पर्शन-क्षेत्र जानना चाहिए |
( १९ ) नानाजीवापेक्षया प्रदेशविभक्ति कालप्ररूपणा - इस अनुयोगद्वार मे नाना जीवोकी अपेक्षा कर्मोंके उत्कृष्ट - अनुत्कृष्ट और जघन्य - अजघन्य प्रदेशविभक्तिवाले जीवीके कालका विचार किया गया है । जैसे - मोहनीयकर्मकी उत्कृष्टप्रदेशविभक्तिवाले जीवोका कितना काल है ? जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्ट काल आवलीका असंख्यातवाँ भाग है । अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिका सर्वकाल है । जघन्यप्रदेशविभक्तिवाले जीवोका जघन्यकाल एक समय है, और उत्कृष्टकाल संख्यात समय है । अजघन्यप्रदेश विभक्तिवाले जीव सर्वकाल पाये जाते है । ( २० ) नानाजीवापेक्षया प्रदेशविभक्ति-अन्तरप्ररूपणा - इन अनुयोगद्वारमे नानाजीवोकी अपेक्षा कर्मोंके उत्कृष्ट अनुत्कृष्ट और जघन्य - अजवन्यप्रदेशविभक्तिवाले जीवोके अन्तरकालका निरूपण किया गया है । जैसे - मोहनीय कर्म की उत्कृष्टप्रदेशविभक्तिका अन्तरकाल कितना है ? जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल असंख्यात पुद्गलपरिवर्तनप्रमित अनन्तकाल है । अनुत्कृष्टप्रदेशविभक्तिवाले जीवोका कभी अन्तर नही होता, अर्थात् वे सर्वकाल पाये जाते है । इसी प्रकार जघन्य और अजघन्य प्रदेशविभक्तिवाले जीवो - का अन्तरकाल जानना चाहिए ।
१ (१८) पदेस विहत्ति पोसणपिरूवणा- पोसण दुविह जहण्णमुकस्स च । उक्कस्से पयद | दुविहो णिद्द े सो- ओघेण आदेसेण य ओघेण मोहणीयस्स उक्कस्सअणुक्कस्स वित्तियाण पोसण खेत्तभगो । × × × जहणए पयद । दुविहो गिद्द सो-ओदेण आदेसेण य । ओवेण मोहणीयस्स जहण्णाजहणपदेस विहत्तियाण पोसण उकस्साकस्सभगो । जयध०
२ (१९) नानाजीवापेक्षया पदेसविहत्तिकालपरूवणा - कालो दुविहो- जहणओ उकस्सओ चंदि । उक्कस्सए पयद | दुविहो णिद्द सो-ओघेण आदेसेण य । ओवेण मोहणीयस्स उक्कस्पटेसविहत्तिया केवचिर कालादो होति १ जण एगसमओ । उकस्सेण आवलियाए असखेजदिभागो । अणुक० सव्वद्धा | XX जण पद | दुवि गिद्द सो- ओवेण आदेसेण य । ओघेण मोहणीयत्स जद्दण्णपदेस वित्तया केवचिर कालादो होंति ' जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण सखेना समया । अजहण्णपटेस विहत्तिया सव्वदा । जयध ३ (२०) नानाजीवापेक्षया पसविहत्तिअंतरपरूवणा-अतर दुविध जणय उत्स्सयं च । उस्सए पगद | दुविधो गिद्द सो-ओवेण आदेसेण य । ओघेण अट्ठण्ह कम्माण उक्स्सपदेसवधतर कैवचिर कालादो होदि ? जोण एगसमभो । उक्करसेण सेटीए असलेजदिभागो । अणुक्त्सपर्ट सविहत्तियाणं णत्थि अतर IXXXजहणए पयट । दुविधो गिद्द सो-ओवेण अदेसेण य । ओवेण अट्टण्ह कम्माण जहणअजष्णप देसविहत्तियाण गत्थि अतर महाव० ) । अतर दुविह-जणमुक्कद चेटि । उपन्ते पदं । दुविहो णिद्द सो- ओवेण आदेमेण व । ओवेण भोहणीयस्स उत्तरपदे वित्तिअतर केवचिर कालादो होदि ' जोण एणसमओ । उक्कम्मेण अण तकालमससेना पोग्गलपरियहा । अणुक्कत्सपदेस वित्तिवाण माथि अतर 1 XXX जहगए पयन | दुविदो णिसो ओरेण आदेमेण । ओण मोहणीपल जद्दष्णाजद
दित्तियाणमतर उक्तस्यागुक्तत्सभगो ।