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कसाय पाहुड सुत्त
णिव्वाघादेणेदा होंति जहण्णाओ आणुपुवीए । एतो अणाणुपुव्वी उकस्सा होंति भजियव्वा ॥ १९॥ चक्खू सुदं पुधत्त माणोवाओ तहेव उवसंते । उवसामेंतय-अद्धा दुगुणा सेसा हु सविसेसा ||२०||
[ १ पेजदोसविहत्ती
ये ऊपर बतलाये गये सर्व जघन्य काल निर्व्याघात अर्थात् मरण आदि व्याघातके विना होते हैं । ( क्योंकि, व्याघातकी अपेक्षा तो उक्त पदोंका जघन्य काल क्वचित् कदाचित् एक समय भी पाया जाता है । ) ये उपर्युक्त जघन्य काल-सम्बन्धी पद आनुपूर्वीसे कहे गए हैं । अब इससे आगे जो उत्कृष्ट काल-सम्बन्धी पद कहे जानेवाले हैं, उन्हें अनानुपूर्वी से अर्थात् परिपाटीक्रमके विना जानना चाहिए ॥१९॥
विशेषार्थ- - उपयुक्त चार गाथाओके द्वारा अनाकार उपयोगसे लेकर क्षपक जीव तकके स्थानोमे जो जघन्य काल वतलाया गया है, वह अपने पूर्ववर्ती स्थानकी अपेक्षा उत्तरवर्ती स्थानमे क्रमशः विशेष विशेष अधिक है, इस प्रकारकी आनुपूर्वी अर्थात् एक क्रमबद्ध परम्परासे कहा गया है । किन्तु अब इससे आगे उन्ही स्थानोका जो उत्कृष्ट काल कहा जायगा, वह आनुपूर्वीके विना ही कहा जायगा । इसका कारण यह है कि उपर्युक्त स्थानोमेसे कुछ स्थानोका उत्कृष्ट काल अपने पूर्ववर्ती स्थानोके उत्कृष्ट कालसे दुगुना है और कुछ स्थानोका कुछ विशेष अधिक है, अतएव उनमे आनुपूर्वी सम्भव नही है । यह बात आगे कहे जानेवाले उक्त स्थानोके उत्कृष्ट कालसे स्पष्ट हो जायगी ।
अब उपयुक्त पदोका उत्कृष्ट काल कहते है
चक्षुरिन्द्रियसम्बन्धी मतिज्ञानोपयोग, श्रुतज्ञानोपयोग, पृथक्त्ववितर्कवीचारशुक्लध्यान, मानकषाय, अवायमतिज्ञान, उपशान्तकपाय और उपशामक, इनके उत्कृष्ट कालोंका परिमाण अपने पूर्ववर्ती पदके कालसे दुगुना दुगुना है । उक्त पदों के अतिरिक्त अवशिष्ट पदके उत्कृष्ट कालोंका परिमाण स्वपूर्व पदसे विशेष अधिक है ||२०|| विशेषार्थ - इस गाथासूत्रसे सूचित उत्कृष्ट अद्धापरिमाणसम्बन्धी अल्पवहुत्व इस
१ प्रकार जानना चाहिए - मोहनीयकर्मके जघन्य क्षपण - कालसे चक्षुदर्शनोपयोगका उत्कृष्ट काल विशेष अधिक है । इससे चक्षुरिन्द्रियसम्बन्धी मतिज्ञानोपयोगका उत्कृष्ट काल दुगुना है । इससे श्रोत्रेन्द्रियज्ञानोपयोगका उत्कृष्ट काल विशेष अधिक है । इससे प्राणेन्द्रियज्ञानोपयोगका उत्कृष्ट काल विशेष अधिक है । इससे जिह्वेन्द्रियज्ञानोपयोगका उत्कृष्ट का विशेष अधिक है । इससे मनोयोगका उत्कृष्ट काल विशेप अधिक है । इससे वचनयोगका उत्कृष्ट काल विशेष अधिक है । इससे काययोगका उत्कृष्ट काल विशेष अधिक है । इससे स्पर्शनेन्द्रियजनितज्ञानोपयोगका उत्कृष्ट काल विशेष अधिक है । इससे अवायज्ञानोपयोगका उत्कृष्ट काल दुगुना है । इससे ईहाज्ञानोपयोगका उत्कृष्ट काल विशेष अधिक है । इससे श्रुतज्ञानो -