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गा० २२ ]
मूलप्रकृतिअनुभागविभक्ति-अनुयोगद्वार-निरूपण
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१४ अन्तर, १५ नाना जीवोकी अपेक्षा भंगविचय, १६ भागाभाग, १७ परिमाण, १८ क्षेत्र, १९ स्पर्शन, २० काल, २१, अन्तर, २२ भाव और २३ अल्पबहुत्व । इनके अतिरिक्त भुजाकार, पदनिक्षेप, वृद्धि और स्थान ये चार अर्थाधिकार भी अनुभागविभक्तिमे जानने योग्य बतलाये गये है। उक्त अनुयोगद्वारोसे यहॉपर मोहकर्मकी अनुभागविभक्तिका संक्षेपसे कुछ विचार किया जाता है
(१) संज्ञानरूपणा-इस अनुयोगद्वारमे कर्मोके स्वभाव, शक्ति या गुणके अनुसार विशिष्ट नाम रखकर उनके अनुभागका विचार किया गया है। संज्ञाके दो भेद है-घातिसंज्ञा
और स्थानसंज्ञा । घातिसंज्ञामे कर्मोंके अनुभागका सर्वघाती और देशघातीके रूपसे विचार किया गया है । जैसे-मोहकर्मका उत्कृष्ट अनुभाग सर्वघाती होता है। अनुत्कृष्ट अनुभाग सर्वघाती होता है और देशघाती भी होता है । जघन्य अनुभाग देशघाती होता है । अजघन्य अनुभाग देशघाती भी होता है और सर्वघाती भी होता है । स्थानसंज्ञामे कर्मों के अनुभागका लता, दारु, अस्थि और शैल, इन चार प्रकारके स्थानोसे विचार किया गया है । जैसे-मोहकर्मका उत्कृष्ट अनुभाग चतुःस्थानीय होता है । अनुत्कृष्ट अनुभाग चतुःस्थानीय होता है, त्रिस्थानीय होता है, द्विस्थानीय होता है और एकस्थानीय होता है । जघन्य अनुभाग एकस्थानीय होता है । अजघन्य अनुभाग एकस्थानीय भी होता है, द्विस्थानीय भी होता है, त्रिस्थानीय भी होता है और चतुःस्थानीय भी होता है।
__(२-३) सर्वानुभागविभक्ति-नोसर्वानुभागविभक्ति-इन अनुयोगद्वारोमे कर्मोके भगविचओ भागाभागो परिमाण खेत्तं पोसण कालो अतर भावो अप्पाबहुअ चेदि । सणियामो णत्थि, एकिस्से पयडीए तदसभवादो। भुजगार पदणिक्खेव वहिविहत्तिठाणाणि चेदि अणे चत्तारि अस्थायिारा होति । जयध०
१(१) सण्णापरूवणा-सप्णापरूवणदाए तत्थ सण्णा दुविहा-घादिसण्णा ठाणसण्णाय | घादिसण्या चदुण्ह घादीण उकस्सअणुभागबधो सवघादी । अणुक्कस्सअणुभागवधो सम्वघादी वा देसघादी वा। जहण्णअणुभागबधो देसघादी | अजहण्णओ अणुभागवधो देसघादी वा सव्व पादी वा Ixxx ठाणसणा य चदुण्ह घादीण उकस्सअणुभागबधो चदु ढाणियो । अणुकस्सअणुभागबधो चदुट्टाणियो वा तिटटाणियो वा विठ्ठाणियो वा एयट्टाणियो वा । जहष्णअणुभागवधो एयटाणिओ । अजहष्णअणुभागयधो एयटठाणियो वा विठ्ठाणियो वा तिट्ठाणियो वा चदुट्टाणियो वा ( महाव॰) । सण्णा दुविहा घादिगण्णा ठाणसण्णा चेदि । घादिसण्णा दुविहा-जहष्णा उकस्सा चेदि । उकस्से पयद । दुविहो णिमो-ओवेण आदेसेण य । तत्य ओघेण मोहणी यस्स उकस्सअणुभागवित्ती सवधादी। xxx अणुस्सअणुभागविहत्ती सत्यवादी देसघादी वाxxx जहणाणुभागविहत्ती देसघादी। अजहाणाणुभागविहत्ती देसघादी सव्वघादी वा Ixxx ठाणसप्णा दुविहा-जहणिया उकत्सिया चेदि | उत्सियाए पयद । दुविहो णि गोओघेण आदेसेण य । तत्थ ओवण मोहणीयस्स उकस्सागुभागलाण चदुठागिर | अगुफरसाणुभागठाण चट्ठाणिय तिटाणिय विटाणिय एगट्टाणिय वा ।XXX जहणियाए पयद । दुविहो णिहमो-ओरण
आदेसेण य । ओघेण मोहणीयस्स जहण्णाणुभागविहत्ती एगट्टाणिग। अजहणाणुभागन्हित्ती गटवाणिया विठ्ठाणिया तिहाणिया चउठ्ठाणिया वा । जयध०
२ (२.३) सब-णोसम्वबंधपरूवणा-यो सुचव धो गोमव्यय वो जाग, तन्न हगो णिदेमी--