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गा० २२]
प्रकृतिस्थानविभक्ति-अन्तर-निरूपण __ ९५. छब्बीसविहत्तीए केवडियमंतरं ? जहण्णेण पलिदोवमस्स असंखे
जदिभागो। ९६. उकस्सेण वेछावद्वि-सागरोचमाणि सादिरेयाणि । ९७. सत्तावीसविहत्तीए केवडियमंतरं ? जहण्णेण पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो । को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात् उपार्धपुद्गलपरिवर्तनकाल तक संसारमे परिभ्रमण कर संसारके अन्तर्मुहूर्तप्रमाण शेष रह जाने पर उपशमसम्यक्त्वको ग्रहण कर अट्ठाईस प्रकृतियोंकी विभक्तिवाला हो, अनन्तानुबन्धीचतुष्कका विसंयोजनकर चौबीस विभक्तिवाला हुआ। इस प्रकार दो अन्तर्मुहूतोंसे कम अर्धपुद्गलपरिवर्तन-प्रमाण चौबीस विभक्तिका उत्कृष्ट अन्तरकाल पाया जाता है । यद्यपि प्रमत्त-अप्रमत्तादिसम्बन्धी और भी कुछ अन्तर्मुहूर्त होते है, किन्तु उन सवका समूह भी अन्तर्मुहूर्तप्रमाण ही होता है, इसलिए दो अन्तमुहूर्तोसे कम ही अर्धपुद्गलपरिवर्तन-प्रमाण चौवीस विभक्तिका उत्कृष्ट अन्तरकाल कहा गया है।
चूर्णिसू०-छब्बीस प्रकृतियोकी विभक्तिका कितना अन्तरकाल है १ जघन्य अन्तरकाल पल्योपमका असंख्यातवाँ भाग है ॥९५॥
विशेषार्थ-छब्बीस प्रकृतियोकी विभक्तिवाला कोई मिथ्यादृष्टि जीव उपशमसम्यक्त्वको ग्रहण करके अट्ठाईस प्रकृतियोकी विभक्तिवाला होकर, छब्बीस प्रकृतियोकी विभक्तिके अन्तरको प्राप्त हो, मिथ्यात्वमे जाकर सर्वजघन्य पल्योपमके असंख्यातवे भागमात्र उद्वेलनाकालके द्वारा सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृतिकी उद्वेलना करके पुनः छब्बीस प्रकृतिकी विभक्ति करनेवाला हो गया । इस प्रकार इस जीवके छब्बीस प्रकृतियोंकी विभक्तिका पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण जघन्य अन्तरकाल पाया जाता है ।
चूर्णिसू०-छब्बीस प्रकृतियोकी विभक्तिका उत्कृष्ट अन्तरकाल साधिक दो छयासठ सागरोपम है ॥५६॥
विशेपार्थ-इसका कारण यह है कि अट्ठाईस और सत्ताईस प्रकृतियोकी विभक्तियोका जो उत्कृष्ट काल पहले बतलाया गया है, वही छब्बीस प्रकृतियोकी विभक्तिका उत्कृष्ट अन्तरकाल माना गया है । अतः छब्बीस प्रकृतियोकी विभक्तिका उत्कृष्ट अन्तरकाल साधिक दो बार छयासठ अर्थात् एकसौ बत्तीस सागरसे कुछ अधिक होता है ।
चूर्णिसू०-सत्ताईस प्रकृतियोकी विभक्तिका कितना अन्तरकाल है ? जघन्य अन्तरकाल पल्योपमका असंख्यातवाँ भाग है ॥९७॥ ' विशेषार्थ-सत्ताईस प्रकृतियोकी विभक्तिवाला कोई मिथ्यादृष्टि जीव उपशमसम्यक्त्वको ग्रहणकर और अट्ठाईस प्रकृतियोकी विभक्तिवाला होकर अन्तरको प्राप्त हुआ। पुनः मिथ्यात्वमे जाकर सर्वजघन्य उद्वेलनाकालके द्वारा सम्यक्त्वप्रकृतिकी उद्वेलना करके सत्ताईस प्रकृतियोकी विभक्ति करनेवाला हो गया। इस प्रकार. इस जीवके पल्योपमके असंख्यातवे भागप्रमाण जघन्य अन्तरकाल पाया जाता है।