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गा० १३-१४]
अर्थाधिकार-निरूपण क्षपणा अर्थाधिकार । अद्धापरिमाण निर्देश नामक कोई स्वतन्त्र अर्थाधिकार नहीं है, क्योकि, वह सभी अर्थाधिकारोमं सम्बद्ध है, यही कारण है कि गुणधराचार्यने अन्तदीपक रूपसे सब अधिकारोके अन्तमे कहते हुए भी तत्सम्बन्धी गाथाओको सव अर्थाधिकारोसे पूर्व में कहा है। इसी प्रकारसे मूल दृष्टिकोणको ध्यानमे रखते हुए भिन्न-भिन्न दिशाओसे भी कसायपाहुडके पन्द्रह अधिकार जानना चाहिए ।
___ उपरि-दर्शित तीनो प्रकारके अर्थाधिकारोका चित्र इस प्रकार है
गाथासूत्रकार सम्मत | चूर्णिकार-सम्मत जयधवलाकार-सम्मत १ | पेज्जदोसविभक्ति
पेज्जदोसविभक्ति | पेज्जदोसविभक्ति
स्थिति-अनुभागविभक्ति २ स्थितिविभक्ति (प्रकृति-प्रदेशविभक्तिक्षीणाक्षीण प्रकृतिविभक्ति
और स्थित्यन्तिक) ३ | अनुभागविभक्ति
बन्ध | स्थितिविभक्ति वन्ध ४ (प्रदेशविभक्ति क्षीणाक्षीण संक्रम अनुभागविभक्ति और स्थित्यन्तिक) संक्रम
प्रदेश-क्षीणाक्षीण और उदय
स्थित्यन्तिक विभक्ति वेदक
उदीरणा
बन्धक
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|
| उपयोग
उपयोग
वेदक
| १ | 0 | "
2
चतुःस्थान
चतुःस्थान
उपयोग | व्यंजन
व्यंजन
चतुःस्थान १० | दर्शनमोहोपशामना दर्शनमोहोपशामना
व्यंजन ११ | दर्शनमोहक्षपणा दर्शनमोहक्षपणा
सम्यक्त्व १२ | संयमासंयमलब्धि
देशविरति
देशविरति १३ चारित्रलब्धि
चारित्रमोहोपशामना
संयमलब्धि १४ | चारित्रमोहोपशामना चारित्रमोहक्षपणा चारित्रमोहोपशामना १५ | चारित्रमोहक्षपणा अद्धापरिमाणनिर्देश चारित्रमोहक्षपणा
- गुणधराचार्य ने प्रथम गाथासूत्रमे इस ग्रन्थके पेजदोसपाहुड और कसायपाहुड ये दो