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गां० १३-१४ ] . कषायोंमें निक्षेप-निरूपण
२५. - ५५. कधं ताव णोजीवो ? ५६. कट्ठ वा लेंडं वा पडुच्च कोहो समुप्पण्णो तं कहूं. वा लेंडे वा कोहो । ५७. एवं जं पडुच्च कोहो समुप्पजदि जीवं वा णोजीवं वा जीवे वा णोजीवे वा मिस्सए वा सो समुप्पत्तियकसाएण कोहो । जीवके क्रोधकषाय उत्पन्न होती हुई देखी जाती है, इसलिए नैगमनयकी अपेक्षा वह मनुष्य क्रोध कह दिया जाता है । यहाँ यह आशंका नहीं करना चाहिए कि अन्य पुरुषके निमित्तसे अन्य पुरुषमे क्रोध कैसे उत्पन्न हो जाता है ? क्योकि, जिस पुरुपमे क्रोध उत्पन्न हुआ है, उसमे शक्तिरूपसे या कपायोदयसामान्यकी अपेक्षा तो क्रोध विद्यमान ही था, केवल विशेषरूपसे व्यक्त नहीं था, उस व्यक्तिका निमित्तकारण आक्रोशवचन बोलनेवाला अन्य पुरुप हो जाता है इसलिए उसे ही क्रोध कहा है । यही बात मान, माया और लोभकषायोके विषयमे भी जानना ।
शंकाचू०-समुत्पत्तिककपायकी अपेक्षा अजीव क्रोध कैसे है ? ॥५५॥
समाधानचू०-जिस काठ, अथवा ईट, पत्थर आदिके टुकड़ेके निमित्तसे क्रोध उत्पन्न होता है समुत्पत्तिककषायकी अपेक्षा वह काठ अथवा ईट, पत्थर आदि क्रोध कहे जाते है ॥५६॥
विशेषार्थ–एक जीव तो दूसरे जीवके ताडन, मारण, बध-बंधनादिके निमित्तसे क्रोध उत्पन्न कर देता है, यह बात युक्ति-संगत है, किन्तु जो अजीव सर्व प्रकारकी चेष्टा, क्रिया आदि करनेसे रहित है, वह कैसे जीवके क्रोध उत्पन्न कर देता है ? ऐसी आशंकाका चूर्णिकारने यह समाधान किया है कि किसीके पैरमे काटा आदिके लग जानेसे क्रोध उत्पन्न होता हुआ देखा जाता है । तथा अपने अंगमे पत्थर आदिके निमित्तसे चोट पहुंचनेपर रोप द्वारा दांत किटकिटाते हुए बन्दर आदि देखे जाते है । इसलिए अजीव पदार्थ भी क्रोधोत्पत्तिमें निमित्त होता है, यह सिद्ध है ।
चूर्णिसू०-इस प्रकारसे जिस चेतन वा अचेतन पदार्थकी अपेक्षा क्रोध उत्पन्न होता है, वह एक जीव, अथवा एक अजीव, अथवा अनेक जीव, अथवा अनेकं अजीव, अथवा मिश्र-जीव-अजीव भी समुत्पत्तिककपायकी अपेक्षा क्रोधकपाय कहे जाते है ॥५७॥
विशेषार्थ-समुत्पत्तिककपायके पूर्वोक्त आठ भंगोमेंसे आदिके दो भंगोका अर्थ चूर्णिकारने स्वयं कह दिया है। शेप भंगोका अर्थ इस प्रकार जानना चाहिए-अनेक जीव भी. क्रोधोत्पत्तिके कारण होते है, जैसे--- शत्रु की सेनाको देखकर क्रोधकी उत्पत्ति देखी जाती है (३) । अनेक अजीव पदार्थ भी क्रोधकी उत्पत्तिके कारण होते है, जैसे-अपने लिए अनिष्टभूत शत्रुओके चित्र, मूर्तियाँ और उनके भवनादिके देखनेसे क्रोधकी उत्पत्ति देखी जाती है । (४) । एक जीव और एक अजीव पदार्थ भी क्रोधकी उत्पत्ति के कारण होते है, जैसे-तलवार हाथमे लिए हुए शत्रुको आता देखकर क्रोध उत्पन्न होता हुआ देखा जाता है (५) । एक जीव और अनेक अजीव भी क्रोधोत्पत्तिके कारण होते है, जैसे