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विषय-सूची
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कृष्टियोंके वेदन या क्षपणकालमें उनके प्रन्थकार-द्वारा कपायोंके क्षीण हो जाने बन्धक या प्रबन्धक रहनेका
पर संभव वीचारोंके जाननेकी निरूपण
सूचना कष्टि-क्षपण-कालमें उनके स्थिति और
क्षपणा-सम्बन्धी अन्तिम संग्रहणी मूलअनुभागके उदीरणा-सक्रमणादि
गाथा-द्वारा प्रकृत अर्थका उपसंहार " विषयक शकाओंका उद्भावन और कषायोके क्षय हो जानेके पश्चात् शेष समाधान
८८२
तीन घातिया कर्मोंके क्षय हो जाने एक कृष्टिसे दूसरी कृष्टिका वेदन करता
पर सर्वज्ञ, सर्वदर्शी होकर तीर्थहुश्रा क्षपक पूर्व-वेदित कृष्टिके शेष
प्रवर्तनके लिए केवलीके विहारका अशको क्या उदयसे संक्रान्त करता
निरूपण
८६६ है, या उदीरणासे ? इस शकाका समाधान
८८६ क्षपणाधिकार-चूलिका ८६७-८६६ क्रोधादि विभिन्न कपार्योके उदयसे श्रेणी चढ़नेवाले पुरुषवेदी क्षपकके होने
बारह सूत्रगाथओंके द्वारा मोहनीय कर्मवाली विभिन्नताओंका निरूपण ८६०
न के क्षपणका उपसंहारात्मक निरूपण ८६७ स्त्रीवेद और नपुसकवेदके उदयसे
पश्चिमस्कन्ध-अर्थाधिकार ६००-६०६ श्रेणी चढ़ने वाले क्षपककी विभिन्नताओंका निरूपण
८६३ केवलिसमुद्घातका निरूपण १०० चरम समयवर्ती सूक्ष्मसाम्परायिक केवलिसमुद्घातके चौथे समयके पश्चात्
क्षपकके होनेवाले स्थितिबन्ध और होने वाले कार्य-विशेषोंका निरूपण ६०२ स्थितिसत्त्वका निरूपण ८६४ योगनिरोधका वर्णन
६०४ क्षीणकपाय-वीतराग-छद्मस्थके कार्य- कृष्टिकरणका वर्णन विशेषोंका निरूपण
, शैलेशी अवस्थाका वर्णन
१०५
परिशिष्ट
६.२६
६३०
१ कसायपाहुड-सुत्तगाहा २ गाथानुक्रमणिका ३ चूर्णि-उद्धृत-गाथा-सूची ४ प्रन्थनामोल्लेख
६०७ ५ विशिष्ट-प्रकरण-उल्लेख १२६ ६ विशिष्ठ-समर्पण-सूत्र-सूची ६२६ ७ पवाइज्जत-अपवाइज्जंत१२६
उपदेशोल्लेख
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